भाव भक्ति के मारे | Bhav Bhakti ke Mare
भाव भक्ति के मारे
( Bhav Bhakti ke Mare )
त्रिदेव तुम्हारी महिमा का,
रस पीकर मतवारे,
घूम रहें हैं गाते महिमा,
गली-गली द्वारे-द्वारे,
ढोलक झांझ म॔जीरा लेकर,
नाचें भजन कीर्तन गाकर,
भाव भक्ति के मारे,
गली-गली द्वारे-द्वारे,
जल नारियल बेलपत्र धतूरा,
जिसके बिन अनुष्ठान अधूरा,
चलें सभी सामग्री साजे,
गली-गली द्वारे-द्वारे,
चंद्र नाग डमरू मृगछाला,
पूरे बदन भभूत मल डाला,
बैठे हैं वो धूनी रमाए,
गली-गली द्वारे-द्वारे।
आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)