कसाई हाथ बछिया

कसाई हाथ बछिया

 

कउने संग पगहा धरउला ये बाबूजी,
कइसन हम्में दुलहा खरीदला ये बाबूजी।

धन कै बड़ा लोभी बाटें हमरो ससुरवा,
सासु औ ननद रोज खानी मोर करेजवा।
कउने खोंतनवाँ बसउला ये बाबूजी,
कइसन हम्में दुलहा खरीदला ये बाबूजी।
कउने संग पगहा धरउला ये बाबूजी,
कइसन हम्में दुल्हा खरीदला ये बाबूजी।

माँगनै दहेज और करैनै पिटाई,
मरले के बाद भी न लावेन दवाई।
कउने घर बिटिया बियाहला ये बाबूजी,
कइसन हम्में दुलहा खरीदला ये बाबूजी।
कउने संग पगहा धरउला ये बाबूजी,
कइसन हम्में दुल्हा खरीदला ये बाबूजी।

मेहनत-मजूरी कइके का नाहीं दिहली,
गलती जरूर भइल तू हैं ना पढ़ऊली।
पिंजड़ा में जनवाँ का पहिनवला ये बाबूजी,
कइसन हम्में दुलहा खरीदला ये बाबूजी।
कउने संग पगहा धरउला ये बाबूजी,
कइसन हम्में दुल्हा खरीदला ये बाबूजी।

रात-दिन अँखियाँ से बरसे सवनवाँ,
लेई लिहैं एकदिन बाबू मोर जनवाँ।
कलप-कलप जिए न सिखाऊला ये बाबू जी,
कइसन हम्में दुलहा खरीदला ये बाबूजी।
कउने संग पगहा धरउला ये बाबूजी,
कइसन हम्में दुलहा खरीदला ये बाबूजी।

सुनों, पंचो, लड़किन के पूरा पढ़ावा,
शिक्षा के जदुआ से उनके सजावा।
कसाई हाथ बछिया पकड़ऊला ये बाबूजी,
कइसन हम्में दुलहा खरीदला ये बाबूजी।
कउने संग पगहा धरउला ये बाबूजी,
कइसन हम्में दुलहा खरीदला ये बाबूजी।

Ramakesh

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )

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