Ram Hey Ram

राम जी कै भइनै जनमवाँ

राम जी कै भइनै जनमवाँ

राम जी कै भइलै जनमवाँ,
कि चैत महिनवाँ न हो।
ललना लाल भइनै दशरथ भवनवाँ,
कि गमके अंगनवाँ न हो।

अंगना बाजत बधाइया कि
खुश सब मइया न हो।
राजा दशरथ लुटावें खजनवाँ कि,
लूटेला जहानवाँ न हो।
राम जी कै भइलै जनमवाँ,
कि चैत महिनवाँ न हो।
ललना लाल भइनै दशरथ भवनवाँ,
कि गमके अंगनवाँ न हो।

कब के पियासल ई अँचरवा कि,
पूरा भा सपनवाँ न हो।
जग तारन कै भयल अगमनवाँ कि,
गोंदी खेलें ललनवाँ न हो।
राम जी कै भइलै जनमवाँ,
कि चैत महिनवाँ न हो।
ललना लाल भइनै दशरथ भवनवाँ,
कि गमके अंगनवाँ न हो।

आज के दिनवाँ सुहावन,
अति मन भावन हो,
उठे सरयू से पावन लहरिया,
बजावे पैजनिया न हो।
राम जी कै भइलै जनमवाँ,
कि चैत महिनवाँ न हो।
ललना लाल भइनै दशरथ भवनवाँ,
कि गमके अंगनवाँ न हो।

चहुँ ओर उठेलै सोहरिया कि,
झूमेंला गगनवाँ न हो।
रानी सुमित्रा लगावें उबटनवाँ कि,
पउनी पुत्र-रतनवाँ न हो।
राम जी कै भइलै जनमवाँ,
कि चैत महिनवाँ न हो।
ललना लाल भइनै दशरथ भवनवाँ,
कि गमके अंगनवाँ न हो।

जवन सुख ब्रह्मा न पावें कि,
चूँमी हम चरनवाँ न हो।
छप्पन भोग लगावें माँ कैकेयी कि,
कनक -भवनवाँ न हो।
राम जी कै भइलै जनमवाँ,
कि चैत महिनवाँ न हो।
ललना लाल भइनै दशरथ भवनवाँ,
कि गमके अंगनवाँ न हो।

भोले शंकर जी आए, गौरा संगवाँ ले लाए,
करें राम दर्शनवाँ न हो।
भयल पूरा ऊ विधि कै विधनवाँ कि,
वही चौथेपनवाँ न हो।
राम जी कै भइलै जनमवाँ,
कि चैत महिनवाँ न हो।
ललना लाल भइनै दशरथ भवनवाँ,
कि गमके अंगनवाँ न हो।

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )

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