छठ गीत | Chhath Geet
ए छठी मइया
बरबस अरगिया हमार ए छठी मइया
सांझे लीं अरगिया हमार
बरबस अरगिया हमार ए दीनानाथ
सांझे लीं अरगिया हमार।
जलवा में अरग देत करींला बिनितिया
लिख दिहब हमरो कलम किस्मतिया
हियवा के मिटे जुवार ए छठी मइया,
सांझे लीं अरगिया हमार ,,,।
भोरवो दीदार देब बोली जब चिरईंया
जेकर ना होला केहू होली छठी मइया
आदितदेव होलन रखवार ए छठी मइया,
भोरे लीं अरगिया हमार, ए छठी,,,।
कोठिला के धन नाहीं अंँचरे के सब बा
एही लागी अरग परे छठिया परब बा
करऽतानी तोहरी पुकार ए छठी मइया
भोरे लीं अरगिया हमार ए छठी मइया।
भोरे लीं अरगिया हमार ए दीनानाथ।।
परऽतानीं बेर बेर पंइया – छठ गीत
घटिया सेईंला छठी मइया,
पुरी ललसा हमार, पुरी ललसा हमार।
बानीं उपवास लगनिया बा लागल
पोखरा के पनिया निहारीं ला जागल
निहारीं ला जागल,
रतिया सेईंला छठी मइया, दिहब रउरा दीदार।
मांगीं पुतर धन अँचरी पसार के
पोंछे आईंना मइया, लोरवा के धार के
लोरवा के धार के,
बिहने पहरिया गोसईंया, आइब घटिया हमार।
दुखवा दरदिया हियरवा से काढ़ दीं
सारी तकलीफवा, जियरवा से काढ़ दीं
जियरवा से काढ़ दीं,
परऽतानीं बेर बेर पंइया, लिखे आइब लिलार।
विद्या शंकर विद्यार्थी
रामगढ़, झारखण्ड