दलित की यथार्थ वेदनाविदा

दलित की यथार्थ वेदनाविदा

दलित की यथार्थ वेदनाविदा घर की खिन्नता को मिटाऊँ,या समाज की उन्नति जताऊँ lक्यूँ भूल गए है हम ,एक डाल के फूल है हम lक्लेश से व्याकुलता तक ,साहित्य से समाज तक lदलित की गति अम्बेडकर जी है ,तो दलित की यति वाल्मीकि जी है l न भूलूँ गत अनुभव ,न छोडूँ अस्त भव lसाँझा…

Karva chauth par kavita

ऐ चांद | Aye Chand

ऐ चांद ( Aye Chand ) ऐ चांद तुम जल्दी से आ जाना भूखी प्यासी दिनभर की मैं बेकरारछलनी से करूंगी साजन का मैं दीदारशर्म से लाल होंगे तब मेरे गालपिया मिलन में देर न लगा जाना।ऐ चांद तुम जल्दी से आ जाना। मेहंदी रचे हाथ, सजे कंगन के साथपूजा की थाल लिए, करवा हाथमांगूंगी…

करवा का चाँद

करवा का चाँद

करवा का चाँद करवा का चाँदगगन और आँगन मे तो आयातेरी और मेरी आँखो में कभी आया ही नहींछन्नी के उस पार जाती हुई धुंधली नजर में मैने तुम्हे कैद कभी किया ही नहींतुम कैद कभी हुए नहींकरवा का चाँदगगन और आँगन मे तो आयातेरी और मेरी आँखो में कभी आया नहींआँखो में कभी आया…

करवा चौथ का व्रत

करवा चौथ का व्रत ( दिकु के लिए )

करवा चौथ का व्रत आज मैंने अपनी दिकु के लिए व्रत किया है,उसकी यादों में हर पल को जीया है।वो दूर है, पर दिल के पास है,उसके बिना हर ख़ुशी भी उदास है,अपनी दिकु को सर्वस्व सौंप दिया है,मैंने अपनी दिकु के लिए करवा चौथ का व्रत किया है। कहते हैं, ये त्योहार केवल स्त्रियों…

Karva chauth poem

देख ही लेती हूँ मै उसको

देख ही लेती हूँ मै उसको दूर गगन की किस बदली में,जाने मेरा चाँद छुपा है,कौन भला उसे ढ़ूँढ़ के लायेकिसी को मेरी फिक्र कहाँ है,मै तो हूँ बस आँख उठाए किकब काली बदली छँट जाये,और मेरी सूनी आँखों मे,मुझको मेरा चाँद दिखाए,मै बर्षों से चौथ उपासी,पानी की दो बूँद को प्यासी,बस एक ही आस…

shikshak hi sachi prerna

शिक्षक ही सच्ची प्रेरणा

शिक्षक ही सच्ची प्रेरणा प्रणाम शब्द शेष हैं l क्यूंकि ?वे देश के विशेष हैं llशिक्षक रूप सक्षिप्त नहीं lशिक्षक रूप विस्तृत सही llतत्व से प्रकृति सजी lगुण से उपदेष्टा सजे llसमय बना पथिक रे lतो गुरु बना अद्री रे ll की विस्मरण शिष्टाचार lलगाए शासन चार llमहिमा उनकी अपरम्पार lलगा सभका जीवन पार llहकीम…

बोलना बेमानी हो जाए

बोलना बेमानी हो जाए

बोलना बेमानी हो जाए बोलो!कुछ तो बोलोबोलना बेमानी हो जाएइससे पहले लब खोलो पूछोअरे भई पूछोपूछने मे जाता ही क्या हैपूछना जवाब हो जाएइससे पहले पूछ लो चलोचाहे कितनी पीड़ा होचलना बस कदमताल न हो जाएवैसे भीचलना जीवन की निशानी हैरुकना मौत की लिखोचाहे कुछ भीकिसी के वास्तेचाहे कितना खराब हो मौसमलिखना बस नारा न…

दलित | Dalit

दलित | Dalit

दलित ( Dalit ) वो हिंदू थे न मुसलमानवो थे मेहनतकश इंसानवो कहीं बाहर से नहीं आए थेवो मूलनिवासी थेवो आदिवासी थे वो जुलाहा थे बंजारा थेवो भंगी थे तेली थेवो धोबी थे कुर्मी थेवो कोरी थे खटीक थेवो लुहार थे सुनार थेवो चर्मकार थे महार थेवो मल्लाह थे कुम्हार थे ब्राह्मण कहते थे:वे शुद्र…

दो अज़नबी एक रात

दो अज़नबी एक रात

दो अज़नबी एक रात पूँछ ले ऐ मुसाफ़िर रात की तन्हाई का सहारा lकलम कह उठेगी देख आसमान में चमकता सितारा llचाँद भी ऐंठकर चिल्ला उठता है lजब मेरे संघ एकऔर चाँद दिखता है ll चाँद ने पूँछा किसओर है चित lबीते पलकी ओर है पूँछ मत llकह दो ,ढलती रात में बढ़ता अंधेरा है…

खेल के सूत्र बनाएँ जीवन

खेल के सूत्र बनाएँ जीवन

खेल के सूत्र बनाएँ जीवन खेल की क्रीड़ा निराली बैर ,कभी धैर्य, परीश्रम, लगन है lतो कभी खिन्न – उदास दर है ,सहयोग , एकता भी न भूलो lतो खेल से क्या मिला ,हार – जीत या आत्मनिर्भर l स्वस्त है , मस्त है ,जिससे तन – मन चुस्त है lसिद्धांत नव दो ग्यारह नहीं…