Laghu Katha Bewajah

बेवजह | Laghu Katha Bewajah

हमारी परीक्षाओं का आखिरी दिन था। मुझे आज भी याद है स्कूल का वो दिन और वो बारिश का पानी जब हम सब चारों सखियाँ छाता होने के बावजूद छुट्टी होने के बाद बारिश मे खूब भीगीं थी और कपड़े सूखने के बाद ही घर गई थी क्योंकी हम सब घर से परमीशन लेकर आए…

प्रेम के प्यासे पेड़ पौधे

प्रेम के प्यासे पेड़ पौधे

एक बाग में चारों तरफ लोग बड़े आश्चर्यचकित नजरों से देख रहे थे। लोगों को यह समझ नहीं आ रहा था कि यह कैसे संभव हो गया। आश्चर्यजनक विषय यह था कि उस बाग में लोगों ने पहली बार बिना कांटों का गुलाब का पौधा देखा था। लोगों को यह विश्वास ही नहीं हो रहा…

डॉक्टर साहब का संघर्ष

डॉक्टर साहब का संघर्ष | लघुकथा

एक अस्पताल में नर्स और डाक्टर की कहा सुनी चल रही थी – नर्स ने बड़े गुस्से से मेज पर फाइल पटक कर कहा- आप भी सफेद कोट पहनते हो मैं भी सफेद कोट पहनती हूँ, जितना काम आप कर लेते हो उससे कहीं ज्यादा काम मैं भी कर लेती हूँ- पता नहीं आप लोग…

गिरदावरी

गिरदावरी | Girdawari

शहर के नए पटवारी सोहनलाल जी हाल ही में ज्वाइन होकर अपने आफ़िस में काम पर आए थे । अगले महीने राज्य के मुख्यमंत्री जी स्वयं उनके शहर आने वाले थे, क्योंकि मुख्यमंत्री जी को पिछले साल मौसम के कारण ख़राब हुई फ़सल के लिए वहाँ के चुनिंदा किसानों को मुआवजा राशि वाले चेक प्रदान…

Kahani Desh ki Mati

देश की माटी | Kahani Desh ki Mati

अभी रमेश को 15 दिन भी नहीं आए हुए थे पता चला उसकी मां को लकवा मार गया है । वह बहुत चाहता था मां के पास पहुंचे लेकिन चाह कर भी घर नहीं जा सकता था। रात्रि में जब वह लेटा हुआ था तो उसे नींद नहीं आ रही थी। वह सोचता रहा की…

आईना

दर्पण | Laghu Katha Darpan

“मालिक, आप दर्पण क्यों देखते हैं ॽ” रामू ने साहस करते हुए अपने मालिक से पूछा। “संवरने के लिए।” मालिक ने कहा। “संवरती तो नारी है, आप नारी हैं क्या ? ” मुंँह लगा रामू ने चुस्की लेते हुए कहा। “डंडे पड़ेंगे, जो ऐसा कहांँ तो।” फिर मालिक ने उसे हिदायत करते हुए कहा। “सच…

Kahani Kahan Tak

कहाँ तक | Kahani Kahan Tak

”  हलो ..भाई साहब , आप मेजर गौरव शर्मा बोल रहे है न ? ओके , मैं लाहौर से मरियम रहमान बोल रही हूँ । भाई  साहब शायद मेरे शौहर आपके साथ भारत- पाक , जंग में आपके साथ थे । उन्ही के विषय मे मैं आपसे बात करना चाहती हूँ। क्या आप मेरी दस…

परिया बाबा | Kahani Pariya Baba

परिया बाबा | Kahani Pariya Baba

चीनू, मीनू , रामू, दिनेश , भोलू और टीनू पांच से दस वर्ष के बच्चे हाथों में गेंद उठाये शोर मचाते हुए घरों से निकले और खुले मैदान में आ कर गेंद को पैरों से लुढ़का लुढ़का खेलने लगे । दूर से आती बाँसुरी की धुन ने बच्चों का ध्यान आकर्षित किया और दिनेश ने…

Laghu Katha Gungle Mein

जंगल मे | Laghu Katha Gungle Mein

कोई एक शब्द भी नहीं बोलेगा। मैने अभी-अभी किसी बाघ की आहट सुनी है और उसके पैरों के ताजा निशान देखकर आ रहा हूं, जो कि हल्की गीली मिट्टी मे बने हुए थे…., हरीश ने लगभग फुसफुसाते हुए कहा-“सब लोग फटाफट सामान बांधो और गाड़ी की तरफ चलो….।” डब्बू उसके पिता हरीश, बहन नेहा, जीजा…

त्रिकालदर्शी बाबा | Kahani Trikaldarshi Baba

त्रिकालदर्शी बाबा | Kahani Trikaldarshi Baba

भारतीय समाज में पाखंड और अंधविश्वास इतना फैला है कि कौन सच्चा कौन झूठा इसका निराकरण करना बड़ा मुश्किल है। ऐसे लोग समाज में अंधविश्वास एवं पाखंड फैलाकर और गर्त में डाल देते हैं। यही कारण है कि भारत में वैज्ञानिक प्रतिभा का विकास नहीं हो पाता है। सुदेश नामक एक बालक समाज से ऐसे…