ख़ुशी | Laghu Katha Khushi
एक गाँव में एक फ़ैक्टरी होती है,जिसमें 100 कर्मचारी काम करते हैं। सब खुश थें,पैसे सभी को थोड़े कम मिलते थे। फ़ैक्टरी दूर भी...
लघुकथा “गेटआऊट ” | Get Out
उसकी कॉलबेल बजी। एक नहीं , कई बार। बदन पर एक शॉल डाली और वह सशंकित मन गेट की ओर बढ़ी। आख़िर कौन हो...
श्राद्ध | Shraddh
"हेलो पण्डित जी प्रणाम!...… मैं श्यामलाल जी का बेटा प्रकाश बोल रहा हूं, आयुष्मान भव बेटा!..... कहो कैसे याद किया आज सुबह सुबह।जी पण्डित...
पिकनिक | Picnic Laghu Katha
रोज की तरह सुबह उठकर स्कूल जाने के बदले मैं गहरी नींद में सोया था। उठकर भी क्या करता आज तो सभी बच्चे पिकनिक...
हमसफ़र | Laghu Katha Humsafar
अक्सर हम यही सोचते रहते है कि यार हमसफ़र ऐसा होना चाहिए, वैसा होना चाहिए।लेकिन कभी ये नहीं सोचते कि जो हमारे लिए हम...
हिस्से की शय | Laghu Katha Hisse ki Shay
वे तीन भाई थे।
मझले पक्के शराबी और जिद्दी।
छोटे वाले स्नातक और अपने कर्मों के भरोसेमंद ।
सबसे बड़े अध्यापक , पक्के कर्मकांडी, मगर बेहद चालाक।
बड़े...
जोकर | Laghu Katha Joker
भीड़ खचाखच थी। रंगमंच आधुनिक रंगों से सज़ा था। गांधी पर ' शो' चल रहा था लेकिन बहुत अधिक मनभावन दृश्य न होने से...
बूंद जो सागर से जा मिली | Prem ki Kahani
सायंकल का वक्त गोधूलि बेला में सूरज की लालिमा वातावरण में मिलकर चलने की तैयारी में है। फूलों की सुगंधों से चारों ओर का...
फर्स्ट नाईट | First Night
फर्स्ट नाईट सुनने में ही कितना रोमेंटिक शब्द लगता है। रोमांस की अनुभूति से भरा हुआ । लेकिन सभी फर्स्ट नाईट रोमांटिक नहीं होती!...