Saawariya Rajsthani Geet

बरस रहा है

बरस रहा है बरस रहा है पिचकारी से, लाल गुलाबी रंग।रंग बिरंगी बौछारों से ,पुलक उठा हर अंग।। होली होली हुरयारों का ,गूँज रहा है शोरगली-गली में नाच रहा है, मादक मन का मोरनयी उमंगे लेकर आया यह फागुन का भोरथिरक उठीं ढोलक की थापें,बाज रही है चंग।चौबारे में मचा हुआ है,होली का हुडदंग।।बरस रहा…

Poem in Hindi on Holi

होरी गीत (समूह गीत) विभिन्न छंदो में

(प्रिल्युड)(पुरुष) गोरी तू चटक मटक, लटक मटक, चटक मटक, करती क्युं री? ओये होये क्युं री?(स्त्री) पीया तू समझ सनम, चटक मटक, लटक मटक, करती क्युं मैं? ओये होये क्युं मैं?(पुरुष) तेरा ये बदन अगन, जलन दहन, नयन अगन, लगते क्युं है? ओये होये क्युं है?(स्त्री) मेरे ये नयन बदन, सनम अगन, जलन दहन, जलती…

यह आग अभी

यह आग अभी

यह आग अभी यह आग अभी तक जलती है ,मेरे आलिंगन में।स्वर मिला सका न कभी कोई ,श्वासों के क्रंदन में ।। जब छुई किसी ने अनायास ,भावुक मन की रेखा ।दृग-मधुपों ने खुलता स्वप्नों, का शीशमहल देखा।खिल उठे पुष्प कब पता नहीं ,सारे ही मधुवन में।।यह आग अभी—- दीपक कोई कब बन पाया ,साथी…

Basant poem

पुलक उठा

पुलक उठा पुलक उठा रितुराज आते ही मन।नाप रहे धरती के पंछी गगन ।। पनघट के पंथ क्या वृक्षों की छाँवधरा पर नहीं हैं दोनों के पाँवलगा हमें अपना गोकुल सा गाँवकहा हमें सब ने ही राधा किशन।पुलक उठा –++++ प्रेम राग गाती हैं अमराइयांँउठती हैं श्वासों में अंगड़ाइयांँरास रंग करती हैं परछाइयांँभीग गया प्रेम…

अखिल विश्व में

अखिल विश्व में

अखिल विश्व में अखिल विश्व में ऐसा मौसम ,फूले और फले ।पुरवाई से पछियाओ भी ,खुलकर मिले गले।। छोटे और बड़े का कोई ,कभी न दम्भ भरे ।एक दूसरे के भावों का ,आदर हुआ करे ।मानवता का दीप क्षितिज पर ,जगमग सदा जले ।।अखिल विश्व में —– कोयल कुहके महके अमुआ ,बजे नित मल्हार ।शब्दों…

शारदे

वंदना माँ शारदे की

वंदना माँ शारदे की कुछ ऐसा प्रखर प्रकाश हुआ ।जगमग सारा आकाश हुआ ।। उर में आंनदित लहर उठी ,बह रही सुरभि भी कल्याणी ।क्या उतर रही है शिखरों से ,अब श्वेत कमल वीणापाणी ।सुरभित कुसमित है भूमंडल,नख शिख तक यह आभास हुआ ।।जगमग——- छँट जायेगी हर आँगन से ,तम की छाया काली-काली ।पुलकित होगी…

देश हमारा है

देश हमारा है

देश हमारा है ( गीत )* देश हमारा है, सरकार हमारी है,क्यों न निभाई, हमने जिम्मेदारी है?*नियम व्यवस्था का पालन हम नहीं करें,दोष गैर पर निज, दोषों का नहीं धरें।खुद क्या बेहतर कर सकते हैं, वही करें।सोचें त्रुटियाँ कितनी कहाँ सुधारी हैं?…*भाँग कुएँ में घोल, हुए मदहोश सभीकिसके मन में किसके प्रति आक्रोश नहीं?खोज-थके, हारे…

स्मृति गीत

स्मृति गीत

स्मृति गीत हरि ओम तत्सत्हरि ओम तत्सत्हरि ओम तत्सत् बरगद-छाँह न रही शीश पर मन बेकल है।फ़िक्र युगों की लेकिन निश्चित एक न पल है।सहा न जाए वर्तमान आराध्य भविष्यत्हरि ओम तत्सत्हरि ओम तत्सत्हरि ओम तत्सत् रहे जान से प्यारे जो वे गए जान से।रोक न पाए कलप रहे मद-मोह मान से।क्षत-विक्षत युग-युग से जीवन…

भगवत दर्शन तुम्हें कराएँ

भगवत दर्शन तुम्हें कराएँ

भगवत दर्शन तुम्हें कराएँ भेद भाव के पथ को त्यागेंचलो चलें हम कुंभ नहाएँ ।संत जनों का पुण्य समागम,भगवत दर्शन तुम्हें कराएँ ।। गंगा यमुना सरस्वती सेसारे जग की प्रीति पुरानी ।रात लगे रानी दिन राजाशुभ संगम की अमर कहानी।। सत्य सनातन भारत की जयसंस्कृति अपनी तुम्हें दिखाएँ ।चलो चले हम कुंभ नहाएँ ।। साधु…

तुम वर्तमान

तुम वर्तमान

तुम वर्तमान तुम वर्तमान के पृष्ठों पर ,पढ़ लो जीवन का समाचार ।क्या पता कौन से द्वारे से ,आ जाये घर में अंधकार।। आशा की किरणें लौट गयीं ,बैठी हैं रूठी इच्छायेंप्रात: से आकर पसर गईं ,आँगन में कितनी संध्यायेंइन हानि लाभ की ऋतुओं में, तुम रहो सदा ही होशियार ।।तुम वर्तमान—– चल पड़ो श्रमिक…