चर्चा तेरी गली का | Charcha Teri Gali Ka
चर्चा तेरी गली का
( Charcha Teri Gali Ka )
मुझ से ही चल रहा है चर्चा तेरी गली का
कैसा महक रहा है रिश्ता तेरी गली का
जब ख़ुद को भूलना भी आसान हो गया फिर
क्यों याद आ रहा था नक़्शा तेरी गली का
अब सारा शहर जिसकी लपटों में जल रहा है
वाबस्ता था वो मुझ से बलवा तेरी गली का
कुछ लोग कह रहे थे दीवाना तेरा मुझ को
मस्ताना कर गया है फ़िक़रा तेरी गली का
हर सम्त जैसे मेरी मंज़िल बता रही हो
हर रास्ते से निकला रस्ता तेरी गली का
कल रात हट गये थेे पर्दे जो खिड़कियों से
उड़-उड़ के आ रहा था जलवा तिरी गली का
उसको ही ले गई है साग़र हवा उड़ा कर
लिक्खा था जिस वरक़ पे किस्सा तिरी गली का

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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