चितवन

( Chitwan ) 

मनहरण घनाक्षरी

चंचल मनमोहक, चितवन मन मोहे।
बांसुरी कन्हैया तोरी, तान छेड़े मन में।

मोर मुकुट माधव, गले वैजयंती माला
केशव मुस्कान प्यारी, मन लागे लगन में।

राधा के मोहन प्यारे, हर जाए चितवन।
छवि घनश्याम कान्हा, बसी मोरे तन में।

गोपियों के गिरधारी, गिरधर बनवारी।
मधुबन बज रही, मुरलिया वन में।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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