गुरु महिमा गीत

गुरु महिमा गीत | ताटक छंद

गुरु महिमा गीत

गुरु महिमा है अगम अगोचर, ईश्वर शीश झुकाया है।
पढ़ा लिखाकर हमको गुरु ने, काबिल आज बनाया है।
समय समय अभ्यास कराते, गीत हमको सिखाते जी।
सब शिष्यों को पारंगत कर, छंद विधान लिखाते जी।
साहित्य सागर में मनवा ये, डुबकी बहुत लगाया है।
पढ़ा-लिखाकर हमको गुरु ने, काबिल आज बनाया है।

अलग-अलग छंदों में लिखकर, गीत मधु गुनगुनाती हूॅ॑।
करती प्रणाम गुरुवर को फिर,अपना शीश झुकाती हूॅ॑।
पढ़े गीत को छंद विधा में,हृदय बहुत हर्षाया है।
पढ़ा लिखाकर हमको गुरु ने, काबिल आज बनाया है।

सरपट दौड़ी तुलिका प्यारी,भाव सुमन बरसाती वो।
लिख लिखकर यह आगे बढ़ती, काव्य गंगा बहाती जो।
आशीष मिला जो गुरुवर का,छंद उर में समाया है।
पढ़ा लिखाकर हमको गुरु ने, काबिल आज बनाया है।

कवयित्री: दीपिका दीप रुखमांगद
जिला बैतूल
( मध्यप्रदेश )

यह भी पढ़ें :-

माँ की ममता | Maa ki mamta poem

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *