Dal Baati aur Churma

दाल बाटी और चूरमा

( Dal Baati aur Churma )

 

संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है यह राजस्थानी पकवान,
बड़े शान से खाते है जिससे आ जाती यह जान।
कई तरीकों से बनाया जाता बाटी है इसका नाम,
पारंपरिक-व्यंजन है ये जो राजस्थान की शान।।

मौसम चाहें कोई सा भी हो ये सर्दी गर्मी बरसात,
राज-सी स्वाद लगता दाल बाटी चूरमा के साथ।
तीज-त्यौहार इतवार चाहें गणपत जी का प्रसाद,
बड़े-चाव से खाते बैठकर पूरे परिवार के साथ।।

कंडों की राख पर इनको धीरे धीरे पकाया जाता,
आज ओवन और कुकर में भी यें बनाया जाता।
क़रीब १३०० वर्षों पुराना जिनका है यें इतिहास,
मेवाड़ी-राजवंश बप्पा रावल‌ को ये श्रेय जाता।।

इस बाटी को चूरकर ही यह चूरमा बनाया जाता,
जिसमें मिश्री इलायची एवम यें घी डाला जाता।
बड़ा ही लज़ीज़ एवं स्वादिष्ट सेहतमंद यह रहता,
जो एक बार खाता है इसका दीवाना हो जाता।।

साथ में तेज़ मसालों के तड़के-वाली दाल बनता,
जो चना मूंग मसूर उड़द तूअर का मिक्स ‌रहता।
सरसों के तेल चाहें घी में जिसका तड़का लगता,
आज बाफला बाटी का दूर दूर तक चर्चा होता।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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