Geet jeevan ki rahen
Geet jeevan ki rahen

जीवन की राहें!

( Jeevan ki rahen ) 

 

आंसू से लथपथ हैं जीवन की राहें,
हिम्मत से अपना जहां हम बसाएँ।

 

कोरोना ने ऐसी मौतें बरसाई,
लाशों पऱ लाशें जो उसने सजाई।
ऐसे में दिल को कहाँ तक लगाएँ,
हिम्मत से अपना जहां हम बसाएँ।…आंसू से..

 

उजड़े हैं घर कितने, उजड़ा चमन ये,
जख्मों को सुलगाए निशिदिन अगन ये।
जीने की आशा फिर कैसे जुटाएँ,
हिम्मत से अपना जहां हम बसाएँ।…आंसू से…

 

चेहरे पऱ छाई है सबके उदासी,
मुंबई हो दिल्ली या चाहे वो काशी।
ख्वाबों की बस्ती को कैसे सजाएँ,
हिम्मत से अपना जहां हम बसाएँ।….आंसू से….

 

तूफ़ाँ से डरकर कहाँ कोई रुकता,
तूफ़ाँ के आगे कहाँ कोई झुकता।
ख्यालों में क्यों रोज मातम मनाएँ,
हिम्मत से अपना जहां हम बसाएँ।….आंसू से….

 

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )
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