कितना खूबसूरत शब्द है माँ
माँ
कितना खूबसूरत शब्द है माँ
जिसे सुनकर बढ़ जाती है चेहरे की चमक
सीने से बहने लगती है गंगा जमुना की धारा
दिल की टहनी पर फूटने लगती हैं फूलों की कोंपलें
कितना खूबसूरत शब्द है माँ
जिसे सुनते ही कानों में बजने लगती हैं घण्टियाँ
पैरों में आ जाती है अजब-सी शक्ति
बाहें तन जाती हैं मोह की सुगन्ध से
कितना खूबसूरत शब्द है माँ
जिसकी छाँव में झूलते हैं सुकूँ के झूले
जिसके आंगन में खेलती है दुनिया की मस्ती
जिसकी धड़कनों में उठती है सदा दुआ ही दुआ
कितना खूबसूरत शब्द है माँ
कितना खूबसूरत शब्द है माँ।
डॉ जसप्रीत कौर फ़लक
( लुधियाना )
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