Geet Patjhad
Geet Patjhad

पतझड़ सावन बन जाता है

दुआओं से झोली भरकर जब जीवन मुस्कुराता है।
सारी बलाएं टल जाती पतझड़ सावन बन जाता है।
पतझड़ सावन बन जाता है

रोज शिवालय शिव की पूजा गंगाजल जो पाता है।
हर हर महादेव कंठो से सुबह शाम जो भी गाता है।
बिगड़े सारे काम बनते वो कीर्ति पताका लहराता है।
शिव कृपा हो जाए बंदे खुशियों का मौसम आता है।
पतझड़ सावन बन जाता है

मात पिता गुरु सेवा का चरणों का सुख पाता है।
अतिथि को देव मानकर घर स्वर्ग सा हो जाता है।
रिश्तो की डोर संभाले संस्कार जो सीखलाता है।
प्यार के अनमोल मोती हंस हंसकर जो लुटाता है।
पतझड़ सावन बन जाता है

आदर्शों की डगर चले जो शील आचरण अपनाता है।
त्याग सेवा समर्पण की दुनिया में अलख जगाता है।
हर आंधी तूफानों में भी हौसलों से जो बढ़ जाता है।
मुश्किलें सब हल हो जाती जीवन में वैभव आता है।
पतझड़ सावन बन जाता है

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :

भूलना अच्छा लगता है | Geet Bhulna Acha Lagta Hai

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here