अब हम | Ghazal Ab Hum
अब हम
( Ab Hum )
पहले अपनी इ़नान देखेंगे।
फिर जहाँ का गुमान देखेंगे।
सीख लें ढंग जंग के फिर हम।
सबके तीर-ओ-कमान देखेंगे।
पर हमारे तराशने वालो।
हम तुम्हारी उड़ान देखेंगे।
यह करिशमा दिखाएंगे अब हम।
सर झुका कर जहान देखेंगे।
हम तो कुछ कर नहीं सके लेकिन।
अब तुम्हारा ज़मान देखेंगे।
रंग लाएगी जब मिरी क़िस्मत।
सारे ह़ासिद अमान देखेंगे।
ऊंचा दिखने के वास्ते अब हम।
कोई ऊंचा मकान देखेंगे।
भूल जाएंगे वो फ़राज़ अपनी।
जब हमारी ज़ुबान देखेंगे।
पीपलसानवी
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