Ghazal gulab hai chehra
Ghazal gulab hai chehra

गुलाब है चेहरा

( Gulab hai chehra )

 

 

बंद आज़म हिजाब है चेहरा

जो यहाँ वो गुलाब है चेहरा

 

क्या मैं तारीफें  करुं उसकी

वो ख़ुद में आफ़ताब है चेहरा

 

देखकर प्यार का नशा होता

हुस्न जैसे शराब है चेहरा

 

आज तो वो नजर नहीं आया

हुस्न का जो ज़नाब है चेहरा

 

वो बनेगा नहीं कभी मेरा

जो मुझे इंतिखाब है चेहरा

 

छूने की ही उसे तमन्ना है

चढ़ता सा जो शबाब है चेहरा

 

जो कभी आज़म  सच नहीं होगा

नींदों का वो इक ख़्वाब है चेहरा

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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