सियासती बुरके पहनकर,वो बग़ावत कर रहे हैं | Ghazal
सियासती बुरके पहनकर,वो बग़ावत कर रहे हैं
( Siyasati burka pahan kar wo bagawat kar rahe hain )
सियासती बुरके पहनकर,वो बग़ावत कर रहे हैं !!–
हर तरह से इस वतन में,रोज वहशत भर रहे हैं !!–
कहते – करना चाहते हैं, रहते लोगों की भलाई
जुल्म सहते लोग उनसे,पर हिकारत कर रहे हैं !!–
हसद,नफरत,झूठ,धोखों, की कमीनी फितरतें हैं
मुल्क के गोशे सभी उन , पर इशारत कर रहे हैं !!–
कह रहे ये मुल्क उनके , बाप की इमलाक है तो
छीन कर कब्जा करेंगे, ये हिदायत कर रहे हैं !!–
थे हमेशा से बुरे पर, अब तो हर हद कर पार है
मिल खबीसों जैसे सारे, ही हिमाकत कर रहे हैं !!–
हलाकत के, बगावत के,जफ़ाओं के, कजाओं के
खड़े तालिब सिर्फ ज़ुल्मों,की हिफ़ाजत कररहे हैं !!–
वहशतो – हैवानियत की, गन्द जेहनों में भरी है
मगर दिखने पारसा हज, की जियारत कर रहे हैं !!
दोस्त बन कर दुश्मनों के, कर रहे कायम इदारे
और वो उन सब इदारों , में इदारत कर रहे हैं !!–
मदरसे इग़लाम खाने , घरों में ज़ब्रो हवस है
सब इगासत करने वाले , ही इज़ाअत कर रहे हैं !!
रब को सनकीऔर जालिम,बताकर सब को डराते
उसकी दहशत जताने की, वो इबादत कर रहे हैं !!
दुनिया का हरइक मुमालिक,जेरेसाया तेग हो बस
इल्मों के बदले वो नफरत, मदरसों में भर रहे हैं !!
रब है उनका इससे ये , सारी जमीं उनकी हुई
भेड़िए और मेमने सी , वो कहावत कर रहे हैं !!
देखता “आकाश” धरती , पर हुकूमत चाहते हैं
इस गलत हसरत से दुनिया,में कयामत कर रहे हैं !!
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बग़ावत=प्रत्यक्ष विरोध,सशस्त्र विद्रोह।
सियासत=राजनीति।
वहशत=जंगलीपन, भयानकता,पशुता।
हसद=ईर्ष्या,डाह।
फितरत=प्रकृति,स्वभाव,धूर्तता।
गोशा= अन्तराल,कोना,दिशा,तरफ,स्थान,एकान्त।
हिकारत=घृणा,नफरत।
इशारत= इशारा
करना या संकेत करना।
इमलाक=सम्पत्ति, जायदाद।
हिदायत= मार्गदर्शन , निर्देश।
ख़बीस =भूत,प्रेत,जिन्न,बला।
हिमाकत=बेवकूफी,मूर्खता।
हलाकत= वध करने या मारने की क्रिया।
जफ़ा= (फा.)जुल्म, अत्याचार,कृतघ्नता,विपत्ति।
कज़ा=मृत्यु, समाप्ति,अंत।
तालिब=समझदार,फकीर, खोजने वाला, दरवेश,विद्यार्थी,याचक।
ज़ुल्म=अत्याचार,अन्याय,बुराई।
हिफाज़त= सावधानी से रक्षा या बचाव करना।
वहशत= जंगलीपन,पशुता,भीषणता।
हैवानियत= खूॅंख्वार पशु होना,मूर्खता,बेवकूफी।
गन्द= दुर्गन्ध,बदबू, विष्ठा।
जेहन=दिमाग,प्रतिभा, बुद्धि,स्मरणशक्ति।
पारसा=पवित्र,फकीर, साधु,संत।
हज=काबा दर्शन के लिये मक्का मदीना की तीर्थयात्रा।
जियारत=तीर्थ का दर्शन करने की गई तीर्थ यात्रा।
इदारा= अंजुमन या संस्था।
इदारत=सभा,संस्था या अंजुमन का संचालन।
इगासत=किसी दुखी की बात सुनना,न्याय करना।
इज़ाअत = लूटना, बरबाद करना।
इगलाम = लड़कों के साथ अप्राकृतिक यौनाचार।
ज़ब्रो हवस= बलात् यौनाचार।
रब=पालक पोषकर,ईश्वर।
जालिम= ज़ूल्म करनेवाला,अत्याचार करने
वाला।सनकी=अस्वस्थ दिमागवाला।
दहशत= डर, भय, खौफ।
इबादत= उपासना,पूजा।
मुमालिक=विभिन्न देश।
जेरे साया=आश्रित या छत्र छाया में होना।
तेग=बड़ी तलवार।इल्म=
जानकारी,ज्ञान,विद्या,विज्ञान।
मदरसा=पाठशाला,विद्यालय।
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”
19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001
( मध्य प्रदेश )
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