जिंदगी हर ख़ुशी से ही बेज़ार है!
जिंदगी हर ख़ुशी से ही बेज़ार है!

जिंदगी हर ख़ुशी से ही बेज़ार है!

 

जिंदगी हर ख़ुशी से ही बेज़ार है!

हो गयी अपनी तक़दीर बीमार है

 

दोस्ती प्यार की गुफ़्तगू हो कैसे

नफरतों की खड़ी राहें दीवार है

 

लुफ़्त आऐ कैसे तेरे बिन जीस्त में

जिंदगी तेरे बिन अपनी बेकार है

 

जो कभी प्यार की गुफ़्तगू करता था

कर गया आज वो मुझसे तकरार है

 

प्यार की गुफ़्तगू थी जिससें रोज़ ही

कर रहा अब मुझसे गुफ़्तगू खार है

 

प्यार का था जिससे सिलसिला हर घड़ी

कर गया नफ़रतों का वो ही वार है

 

सो नहीं पाया है आज़म चैन से

इश्क़ में नींद से आंखें बेदार है

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

 

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