गुलशन में कली जवां हुई है | Ghazal
गुलशन में कली जवां हुई है
( Gulshan mein kali jawan hui hai )
गुलशन में कली जवां हुई है
ख़ुशबू अब रवां यहां हुआ है
सबके कल मकां बहे यहां तो
बरसात बहुत यहां हुई है
दूँ फ़ूल तुझे कहां से लाकर
फ़ूलों की सभी ख़िज़ां हुई है
नफ़रत की थमी यहाँ हवाएं
उल्फ़त की फ़िजां रवां हुई है
रिश्ता न जुड़ा उससे मगर यूं
उल्फ़त न कभी अयां हुई है
जीवन से नहीं ढ़ले है वो दुख
की रोज़ रब से फ़ुगां हुई है
वो शक्ल नज़र कहीं न आये
वो जाने कहां निहां हुई है
बस ख़ूब गिले हुये है आज़म
बातें प्यार की कहां हुई है