हर घर-घर में लगा तिरंगा
हर घर-घर में लगा तिरंगा
हर घर-घर में लगा तिरंगा,
डोले अपनी शान में,
हर दिल-दिल में बसा तिरंगा,
बोले अपने मान में,
देखो लाज तुम्हारी हूँ मैं,
रखना सदा ये ध्यान में,
हर घर-घर में लगा तिरंगा,
डोले अपनी शान में,
भारत माँ का वसन हूँ मैं,
ढँकता उसकी लाज,
देशभक्त के साहस का,
बनता मैं परवाज़,
देखो मुझको झोंक न देना,
नफ़रत के तूफ़ान में,
हर घर-घर में लगा तिरंगा,
डोले अपनी शान में,
भेद नहीं करता हूँ मैं,
क्या है मिट्टी की जात,
मुझको सारे मानव लगते,
हैं बालक की भाँति,
देखो मुझको भूल न जाना,
आपस के घमासान में,
हर घर-घर में लगा तिरंगा,
डोले अपनी शान में।
आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)