रोगों से मुक्ति मिलती है हास्य योग से

आज का मनुष्य जीवन में बड़ा हताश निराश दिखाई पड़ता है। बचपन की उन्मुक्त हंसी जैसे उसकी जिंदगी से खो सी गई है। यही कारण है कि वह विभिन्न बीमारियों की चपेट में आता जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए योग में एक हास्य योग का प्रचार प्रसार बहुत तेजी से फैल रहा है।

एक अध्ययन के अनुसार जो लोग अक्सर हंसते हैं । वह अधिक समय तक जीवित रहते हैं बेहतर, समृद्ध और खुश रहते हैं। उनकी ऊर्जा भी काफी सकारात्मक होती है।

वर्तमान समय में जैसे-जैसे हम बड़े हो रहे हैं हमारा हंसना कम होता जा रहा है । आज का इंसान अपनी मुस्कुराहट और हंसी को भूलता जा रहा है। जिसके फलस्वरूप तनावजन्य बीमारियां जैसे उच्च रक्तचाप, शुगर, माइग्रेन, डिप्रेशन आदि को निमंत्रण दे रहा है। हंसने से ऊर्जा और ऑक्सीजन का संचार अधिक होता है ।

शरीर में से दूषित वायु बाहर निकल जाती हैं। हमेशा खुलकर हंसना शरीर के सभी अवयवों को ताकतवर और पुष्ट बनाता है।

शरीर में रक्त संचार की गति को भी बढ़ाता है । पाचन तंत्र अधिक कार्य करता है । इसलिए डॉक्टर ह्रदय की बीमारी के रोगी के लिए हास्य को उपयोगी बताते हैं।

मनुष्य को चाहिए कि यदि उसे लंबी जिंदगी जीना है तो जीवन में हास्य को कभी ना भूले। हंसना ऐसा सकारात्मक भाव एवं ऊर्जा है जो व्यक्ति के न केवल आंतरिक बल्कि बाहरी स्वरूप को भी प्रभावी, समृद्धशाली एवं तेजस्वी बनाता है।

हम भी अक्सर जब विद्यालयों में योगाभ्यास की कक्षाएं लेते हैं तो उसमें बच्चों को खूब हंसने की क्रियाएं भी कराते हैं। जिससे बच्चों के अंदर योग करने के प्रति सकारात्मक भाव विकसित होता है। हास्य के साथ अध्ययन करने से बच्चों में अध्ययन के प्रति रुचि भी जागृत होती है। पढ़ी-लिखी बातें उन्हें ज्यादा समझ में आती है।

हंसने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है । जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है । मेडिकल प्रयोग में पाया गया है कि 10 मिनट तक हंसते रहने से 2 घंटे की गहरी नींद आती है। हंसने वाले व्यक्ति के कई सारे मित्र बन जाते हैं और इस प्रकार उनमें भाईचारा एवं एकता की भावना कब उत्पन्न होती है, पता ही नहीं चलता।

बच्चों में यदि नियमित रूप से हास्य की क्लास लगाई जाए तो पढ़ने लिखने से जो ऊब होती है उसे सहज में दूर किया जा सकता है। इससे बच्चे पढ़ाई को बड़े सहज तरीके से लेने लगेंगे। अपने देश की शिक्षा पद्धति बहुत ही उबाऊ है।

यही कारण है कि छोटे बच्चे स्कूल में जब जाते हैं तो बहुत रोते हैं और जाने में नखरे करते हैं और जल्दी स्कूल नहीं जाते हैं । बच्चों को मार मार कर अभिभावकों को स्कूल भेजना पड़ता है। क्या विद्यालय जाना आनंद का विषय बन सकता है? इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है।

कहते हैं जापान जैसे देश में लोग अपने बच्चों को प्रारंभ से हंसते रहने की शिक्षा देते हैं ताकि उनकी भावी पीढ़ी सक्षम एवं तेजस्वी हो।

कहां जाता है के जापान में भगवान बुद्ध के शिष्य थे – होतेई । बड़े अलमस्त स्वभाव के भिक्षुक थे । बेहद निर्लिप्त और निरपेक्ष भाव से जीवन जीने में विश्वास रखते थे । जिस कार्य को करते उसमें पूरी तरह डूब जाते थे।

तन्मय हो जाते थे। जापान में मान्यता है कि एक बार होतेई मेडिटेशन करते-करते इतने रोमांचित हो गए कि ध्यान अवस्था में जोर-जोर से हंसने लगे। इस अद्भुत घटना के उपरांत ही लोग उन्हें लाफिंग बुद्धा के नाम से संबोधित करने लगे।

घूमना-फिरना , देशाटन करना, लोगों को हंसाना और खुशी प्रदान करना लाफिंग बुद्धा के जीवन का उद्देश्य बन गया।
इसी प्रकार चीन में उन्हें ऐसे भिक्षुक के नजरिए से देखते हैं जो एक हाथ में धन-धान्य का थैला लिए चेहरे पर खिलखिलाहट बिखेरे ,अपना बड़ा पेट और थुल थुल बदन दिखाकर सभी को हंसते हुए सकारात्मक ऊर्जा देते हैं । वे समृद्धि और खुशहाली के संदेश वाहक और घरों के वास्तु दोष निवारक के प्रतीक भी माने जाते हैं।

एक खुश चेहरा आपका खराब मूड को भी अच्छा कर सकता है । क्योंकि शोध में पाया गया है कि चेहरे पर 500 मिली सेकंड यानी आधा सेकंड की मुस्कान पैदा करना भी खुशी के लिए अंदर से प्रेरित करने में पर्याप्त होता है।
यदि हम जीवन में निरोगी रहना चाहते हैं तो अपनी मुस्कुराहटों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

मुस्कुराहट है हुस्न का जेवर, मुस्कुराना ना भूल जाया करो। किसी ने यहां तक कहा है कि रोजाना एक सेब खाना ही नहीं रोजाना अपने चेहरे पर हंसी सजाना भी आपको डॉक्टर से दूर रखता है।

हंसी सिर्फ आपके चेहरे को ही चमकाती नहीं है । यह आपके मस्तिष्क को अच्छा महसूस करने वाले एंडोर्फिन से भर देती है और खुली बाहों से खुशी का स्वागत करती है।

इसलिए यदि हमें लंबी जिंदगी जीना है तो जीवन को हंसी खुशी के साथ जीना चाहिए।

योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )

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