हे कान्हा | Hey Kanha

हे कान्हा

( Hey kanha )

 

हे कान्हा हे गिरिधर मुरली मनोहर बंशीधर,
हम दीन दुखियों पर कुछ कृपा कर।
हे गोप ग्वालों के रक्षक हे मधुर मुरली बजैया,
हे गोपियों की इच्छा रखने उनके संग महारास रचैया।
धरती का बोझ घटाने खातिर लिया था तुमने अवतार,
भक्तों की रक्षा करते करते दिखलाए कई चमत्कार।
गोकुल की रक्षा करने तुमने गोवर्धन भी उठाया था,
कर्तव्य बोध का ज्ञान अभिमानी इन्द्र को सिखाया था।
तुम्हारे साथ रहकर गोप सखा मधुर गोरस पीते थे,
तुम्हारा साथ पाकर ही तो पांडव रण में जीते थे।
जैसे तुमने सुदामा के साथ दोस्ती निभाई थी,
राजसभा में द्रोपति की लाज तुम्ही ने तो बचाई थी।
गोकुल से लेकर वृंदावन तक फैली तुम्हारी भक्ति थी,
हंसते हंसते असुरों को मारे ऐसी अनुपम शक्ति थी।
अब देर न करो हे मुरारी आस अब सिर्फ तुमसे है,
हम भक्तों की लाज रखो अब यही विनती तुमसे है।

 

रचनाकार –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *