कृष्ण जन्माष्टमी

( Krishna Janmashtami ) 

 

काली घटा रात में छाई यमुना जब अपने तट आई
उफन उफन वो पैर पड़त है देखो जन्मे कृष्ण कन्हाई ।।

वासुदेव के आठवें पुत्र रूप में कृष्ण अष्टमी को प्रगट हुए
मात पिता के संकट मिटाने श्री नारायण धरती पर जन्मे।।

जन्म लिया पर देखो कैसी ,लीला धर ने लीला है रचाई,
अवतरण लेकर देवकी नंदन ने ,यशोदा की गोद थी पाई ।।

मात्र सुख को भोगती यशोदा,कौशल्या की पुनः अवतार
कैकई ने भी जन्म लिया था बनके देवकी कृष्ण की माई।।

गोकुल की गलियों में कान्हा बड़े हुए और खेल कूदे
ब्रजभूमि पर मिली जो राधा,बरसाने में मन था आधा ।।

बड़े हुए और कंस वध कर मुक्ति दिलाए मथुरा को
द्वारकाधीश बने जब कान्हा प्रेम सिखाया दुनिया को।।

राधा जिनकी परम प्रिय सखा,बिन राधा नहीं कृष्णा कहीं
कण कण हृदय में प्रेम बसा हैं ये अर्थ बतलाया दुनिया को।।

लक्ष्मी रूपी रुक्मणी से विवाह कर स्त्री का किया सम्मान,
सबकी रक्षा करते प्रभु जी, प्रेम की धारा बहती सदा समान ।।

भक्त तुम्हारे याद करें सदा तुम्हें, हृदय में तुमको ही बसाते हैं,
जब जब कृष्ण पुकारे हम प्रभु मिलने भक्तो से सदा ही आते है।।

है बंसी बजैया नटनगर मेरे आज यह त्यौहार हमारा है
बड़े ही श्रद्धा भाव से प्रभु हम कृष्ण जन्माष्टमी मानते हैं।।

 

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

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