Holi par Geet
Holi par Geet

होली पर हुड़दंग

( Holi par hurdang ) 

 

मचा है होली पर हुड़दंग।

मस्त महीना फागुन आया,

खूब लगाओ रंग।।

 

नर नारी सब नाचे गाए,

मन में भरी उमंग।

भर पिचकारी तन पर मारी,

भीगे सारा अंग।।

मचा है होली पर हुड़दंग।।

 

गाते रसिया सब मन बसिया,

 पी पी करके भंग ।

ढोल मजीरे बजे नगाड़े ,

और बजे हैं चंग।।

मचा है होली पर हुड़दंग।।

 

फाग राग अरु सांग सजा है,

बाज रही मृदंग।

मदन मास उल्लास जगा है,

मन में उठे तरंग।।

मचा है होली पर हुड़दंग।।

 

गेंदा और गुलाब चमेली,

जूही भाए अंग।

फूल फूल पर मधुकर डोले,

पाने को मकरंद ।।

मचा है होली पर हुड़दंग।।

 

चली है टोली बन हमजोली,

 जोश भरा है अंग।

लाल गुलाल मले हैं जांगिड़’

राधा कान्हा संग ।।

मचा है होली पर हुड़दंग।।

 

कवि : सुरेश कुमार जांगिड़

नवलगढ़, जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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