वृद्धावस्था में स्वस्थ कैसे रहे | विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष
जीवन में वृद्धावस्था अवश्यंभावी है इस सत्य से लोग डरते है। साठ वर्ष के बाद के समय को ही वृद्धावस्था मानते है।
वृद्धावस्था में सुखी व स्वस्थ कैसे रहे यह हमारा अधिकार है।
वैसे तो हर रोग इस उम्र में हो सकता है लेकिन शारीरिक कमजोरी की वजह से ज्यादा तकलीफ देता है वृद्धावस्था में मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, लकवा खांसी व दमा, जोड़ो का दर्द, मोतियाबिंद, दांतो की तकलीफ, चर्म रोग, कैंसर, हडिडयों का कमजोर होना, नींद कम आना, भूलने की आदत, थकावट, खून में चर्बी ज्यादा होना, बालों का झड़ना आदि ज्यादा लक्षण पाए जाते है।
हम लोग साधारण व्यायाम, टहलना, योग, संतुलित भोजन, नशे से दूर, चिकित्सकीय सहायता तथा सकारात्मक सोच से स्वस्थ दीर्घायु जीवन जीया जा सकता हे। पहले के लोग आज की अपेक्षा अधिक परिश्रम करते थे तो वे कम बीमार पड़ते थे तथा लंबी आयु प्राप्त करते थे।
उनका जीवन मोटा खाना मोटा पहनना व मोटी सोच रखना था। आज के लोग चिंता मे डूबे रहते है गेंहू तथा चावल ज्यादा खाते है व्यायाम बहुत कम लोग करते है। संतुलित भोजन में सभी प्रकार के व सभी रंगो के फल व सब्जियां खानी चाहिये। बाजरा जौ ज्वार का सेवन दीर्घायु बनाता है।
वृद्धावस्था में अनाज कम खायें। सोने के तीन घंटे पहले खाना खायें। मीठा व चिकनाई कम खाएं। दालों का प्रयोग करें। बीड़ी सिगरेट व तंबाकू पदार्थो से दूर रहे। यह खांसी दमा व कैंसर को रोकने मे सहायक होता है। शराब का सेवन मनुष्य समाज व देश के लिए घातक है। इससे बचना आवश्यक है।
सकारात्मक सोच रखें। चिंतामुक्त रहें। दोस्तों के साथ गप शप करे। परिवार जनों से मिलजुलकर रहे। आधा घंटे संगीत भी सुनें। कविता सृजन भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। भगवान की भक्ति करें। समय समय पर चिकित्सक की सलाह लें। गुनगुना पानी पीएं। शरीर में पानी की कमी ना होने दे।
सामाजिक सरोकार में भाग लें। जरूरतमंद की सेवा करने का प्रयास करें। संतोषी जीवन जीएं। ब्लड प्रेशर दमा मधुमेह आदि लाइलाज बीमारियां है लगातार दवाई लें। बुढ़ापे में प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ी हो जाती है उससे पेशाब बार बार लगता है रात को सोने नही देता है और पेशाब पर नियंत्रण भी नहीं रहता।
प्रारंभिक अवस्था में दवाई से नियंत्रण किया जा सकता है बड़ा होने पर आपरेशन ही इलाज है। बुढ़ापे में जोड़ो का दर्द ज्यादातर लोगो को होता है शरीर में केल्शियम की कमी हो जाती है गिरने पड़ने की भी ज्यादा संभावना रहती है। इस उम्र में जवानों द्वारा किये जाने वाले कार्य ना करें जैसे पेड़ पर चढ़ना सीडियों पर चढना, बाथरूम में फिसलने से बचे।
कैंसर का प्रथम अवस्था में इलाज हो सकता है अगर आपको भूख कम लगना, कमजोरी आना आदि लक्षण हो तो चिकित्सक से संपर्क करें। बुढ़ापे में दांत भी ढीले होकर गिर जाते है।
समय पर नये दांत लगवा लीजिये। इस उम्र में दिखने मे भी कठिनाई होती है दूर या नजदीक दृष्टी के लिए चश्मा लगवायें तथा मोतियाबिंद होने पर आपरेशन करवा लें। वृद्धावस्था में चमड़ी भी रूखी हो जाती है वेसलीन या एलोवेरा शरीर पर लगाएं तथा उचित मात्रा में पानी पीएं। नमक का सेवन कम करें।
अपने जीवन का संचित किया धन अपने पास रखे जो बुढ़ापे मे आपका सहयोगी बनता है। जरूरी नहीं है कि सभी की संतान अपने माता पिता का बुढ़ापे में ध्यान रखे। नौकरी से सेवानिवृत होने के बाद कुछ ना कुछ करते रहे। व्यस्त रहे और मस्त रहें, सदा स्वस्थ रहे। यही स्वास्थ्य की निशानी है।
जीवन जीना हमारे हाथ मे है समझदारी से इन बातो को ध्यान रखें। स्वस्थ रहेंगे यह हमारा अधिकार तो है ही साथ ही कर्तव्य भी है। हम स्वस्थ होंगे तो हमारा परिवार स्वस्थ रहेगा व देश सुदृढ होगा।
DR. DAYASHANKAR JANGID
JANGID HOSPITAL NAWALGARH