निबंध : वैश्वीकरण महत्व एवं दुष्प्रभाव
निबंध : वैश्वीकरण महत्व एवं दुष्प्रभाव

निबंध : वैश्वीकरण का महत्व एवं दुष्प्रभाव

( Importance of globalisation and its side effect : Hindi essay )

 

प्रस्तावना  :-

वैश्वीकरण शब्द अंग्रेजी भाषा के ग्लोबलाइजेशन का हिंदी रूपांतरण है। वर्तमान समय में इसका अर्थ संपूर्ण वैश्विक भूखंड से लिया जाता है। इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले एंथोनी गिड्डेंस ने किया था। दुनिया के विभिन्न विचारकों के मध्य वशीकरण अलग-अलग रूप से देखा जाता है।

कुछ लोग इसे आर्थिक दृष्टि से समझते हैं तो कुछ लोग सामाजिक और राजनैतिक रूप से आते हैं। भारतीय कथन के अनुसार वसुधैव कुटुंबकम आज संपूर्ण विश्व में प्रचलित है। यह संपूर्ण विश्व वैश्वीकरण के माध्यम से चरितार्थ हो रहा है।

सामान्य अर्थों में इसका विस्तार विश्व एक परिवार के रूप में एकीकृत होकर अपनी भौगोलिक आर्थिक राजनैतिक सामाजिक दूरियों को मिटाकर मानव समाज के एकीकरण की प्रक्रिया में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

वैश्विकरण ने भौगोलिक दूरी को कम किया है साथ ही इससे प्रदेशिक सीमाओं का महत्व भी धीरे-धीरे कम होने लगा है।

सामान्यता वैश्वीकरण एक जटिल आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रक्रिया है। वर्तमान समय में यह पूंजीश्रम उत्पाद प्रयोग की सूचना के माध्यम से आधुनिकीकरण राष्ट्र निर्माण एवं राष्ट्र के बीच गठबंधन के रूप में उत्पन्न हो रहा है।

वैश्वीकरण की विशेषताएं

वैश्वीकरण को एक संसार की दृष्टि से देखा जाए तो उसके मुद्दे को समझने के लिए विश्वव्यापी संबंधों को बनाए रखने हेतु प्रयास किया जाता है।

वैश्वीकरण राज्यों के मध्य वस्तुओं मानवीय संघ संसाधनों सूचनाओं आदि का खुला आदान-प्रदान होता है। इसके प्रमुख विषय विशेषताएं इस प्रकार से है –

पारस्परिक निर्भरता

वैश्वीकरण आपस मे जुडने का एक प्रयास है। इसमें पारस्परिक सहयोग निर्भरता संबंधों को व्यवहार में बदलने की प्रक्रिया शामिल होती है।

भूकंप, बाढ़, सुनामी जैसी दैवी आपदा के समय अंतरराष्ट्रीय सहायता परस्पर सहयोग के रूप में सामने आते हैं।

विकसित देशों पर नियंत्रण

वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिस का स्वरूप दो मुखी है – सामाजिक सांस्कृतिक बौद्धिक और तकनीकी। यह सब वैश्वीकरण में शामिल है।

आज वैश्वीकरण राज्यों की अर्थव्यवस्थाओं को निकट लाने की एक सरल प्रक्रिया बन गया है। यह विकासशील देशों को अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद करता है।

मानवता का विकास

वैश्वीकरण ने दूरियों को कम कर दिया जिससे संस्कृतियों का आदान प्रदान संभव हुआ और जीवनशैली को एक दूसरे से जोड़ने के साथ विश्व सभ्यता का निर्माण हुआ।

आज मानवतावादी विचार को महत्व दिया जाने लगा है। कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं मानव कल्याण के लिए बन गई हैं। जिसमें प्रमुख रुप से यूनिसेफ का नाम शामिल है।

वैश्वीकरण का महत्व

वर्तमान समय में वैश्वीकरण सभी देशों की एक आवश्यकता बन गई है। आज कोई भी देश पूर्ण रूप से विकसित नहीं है। प्रत्येक देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे पर परस्पर निर्भर हैं।

इस निर्भरता को ही वैश्वीकरण का नाम दिया जाता है। वैश्वीकरण की आवश्यकता एवं महत्व निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट की जा सकती है –

  • वैश्वीकरण के परिणाम स्वरूप विश्व व्यापार संभव हो गया है। प्रत्येक देश विकसित और विकासशील अपने आप में पूर्ण नहीं है। वे परस्पर निर्भर हैं और वैश्वीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से व्यापार को राष्ट्रीयता से निकालकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्तर पर किया जा रहा है। जिससे प्रतिस्पर्धा और संसाधनों का प्रयोग संभव हो सका है।
  • वैश्वीकरण को ही आज खुली अर्थव्यवस्था का नाम दिया जाता है।
  • वशीकरण वैश्वीकरण के इस दौर में कोई भी देश आत्मनिर्भर नहीं है सभी देश किसी न किसी संसाधन के लिए एक दूसरे पर निर्भर है और इस निर्भरता को वैश्वीकरण के द्वारा पूरा किया जाता है।
  • समाज व्यक्तियों का समूह होता है जहां पर तरह तरह की समस्याएं होती हैं। इन समस्याओं के निवारण के लिए संपूर्ण विश्व को मिलकर काम करना होता है। जैसे बेरोजगारी, अशिक्षा, गरीबी, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए आज प्रत्येक राष्ट्र एक दूसरे पर निर्भर हैं।
  • राष्ट्रीय विकास के लिए वैश्वीकरण आवश्यक है। एक राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्था और देश की सुरक्षा के लिए चिंतित होता है। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आर्थिक विकास समस्त समस्याओं का हल है। आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्र अपने देश का विकास कर सकने में सक्षम होता है। आर्थिक मजबूती के लिए वैश्वीकरण की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी मदद से एक राष्ट्र का विकास संभव हो पाता है।

वैश्वीकरण के दुष्प्रभाव

वैश्वीकरण के जहां अपने सकारात्मक प्रभाव हैं वहीं इसके दुष्प्रभाव भी हैं। वैश्वीकरण के दुष्प्रभाव इस प्रकार से हैं –

  • सभी राष्ट्र जो आपसे सहयोग की प्रक्रिया पर आज विकास कर रहे थे। उनकी सहयोगात्मक प्रक्रिया को इससे धक्का लगा है। क्योंकि प्रत्येक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के विकास के साथ पहले वैश्वीकरण में अपना स्थान सुनिश्चित करने में लग गया है।
  • वैश्वीकरण के फल स्वरुप नैतिक मूल्य में गिरावट आ गई है। इस प्रक्रिया द्वारा वस्तुओं का उत्पादन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने लगा है। फलस्वरुप राष्ट्र नागरिक राष्ट्रीय वस्तुओं का उपयोग करने के बजाय दूसरे देश की वस्तुओं पर निर्भर रहने लगे हैं। इस प्रकार से नैतिक मूल्यों का ह्रास होने लगा है।
  • वशीकरण प्रक्रिया द्वारा विकासशील देशों के नागरिक विकसित राष्ट्रों के बारे में जान पाते हैं। ऐसे देशों में व्यापार तथा रोजगार अधिक मात्रा में उपलब्ध होते हैं। ऐसे में विकासशील देशों के नागरिक विकसित देशों में चले जाते हैं और राष्ट्रों में प्रतिभा पलायन की समस्या देखने को मिलती है।

 

लेखिका : अर्चना  यादव

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