Is artificial intelligence a boon or a curse
Is artificial intelligence a boon or a curse

निबंध : कृत्रिम बुद्धिमत्ता वरदान है या अभिशाप

  ( Is artificial intelligence a boon or a curse? : Essay in Hindi )

प्रस्तावना :-

इन दिनों दुनिया भर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की चर्चा हो रही है। महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता की संभावनाओं के साथ-साथ इसकी चुनौतियों के बारे में कहा था कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव कल्याण के लिए काफी बेहतर साबित हो सकती है।

इसमें काफी संभावनाएं हैं लेकिन इसका उपयोग पूरी तरह से सोच समझकर और आंशिक रूप में ही किया जाना चाहिए। स्वतंत्र रूप से यदि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग किया जाता है तो यह मानव सभ्यता के अंत का कारण भी बन सकते है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इतिहास ( History of artificial intelligence in Hindi ) :-

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की शुरुआत 1950 के दशक में की गई थी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जनक जॉन मेकार्थी को माना जाता है। उन्होंने ही इसके सर्वप्रथम व्याख्या दी थी।

उन्होंने कहा था कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता बुद्धिमान मशीनों विशेष रूप से बुद्धिमान रोबोट व कंप्यूटर प्रोग्राम बनाने के लिए एक तकनीकी है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास से बौद्धिक क्षमता, मानव बुद्धि की तरह सोचने, समझने, निर्णय लेने, संवेदना को समझने और प्रतिक्रिया देने जैसे कई कार्य कर सकती है।

वर्तमान समय में मानव के जीवनशैली संबंधी कई कार्यक्रम कृतिम बुद्धिमत्ता पर आधारित तकनीक के आधार पर किया जाना शुरू हो गया है। वर्तमान युग तकनीकी का युग है।

इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के युग के तौर पर भी समझा जाता है। आज मशीनीकरण का महत्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। उदाहरण के लिए रोबोट आज मानव जीवन के प्रत्येक कार्य को करने की क्षमता रखता है।

इससे जुड़े अनेक सवाल भी ऐसे में उत्पन्न होते हैं जैसे कि पहला सवाल है कि क्या मानव रोजगार को रोबोट समाप्त कर देगा या फिर क्या मानव रोबोट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के आने वाले समय में दास बन जाएंगे?

क्या वाकई में कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव कल्याण के लिए सर्वोत्तम रूप में प्रयोग में लाई जा सकती है? या फिर यह मानव के विनास का कारण बन सकती है? इस तरह के कई प्रश्नों को सुलझाने की कोशिश विज्ञानिक कर रहे हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता सकारात्मक पक्ष (  Positive side of artificial intelligence in Hindi ) :-

जैसा कि हम जानते हैं किसी भी तकनीकी का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष होता है। इसी तरह से कृत्रिम बुद्धिमत्ता के भी सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष है।

अगर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सकारात्मक पक्ष की चर्चा करें तो यह एक वरदान के रूप में है। ऐतिहासिक रूप से ग्रीक वैज्ञानिक ने पहली सदी में रोबोट का जिक्र किया था।

उन्होंने यूनानी कथाओं में यांत्रिक दोषों का उल्लेख किया है। वहीं भारतीय परिकथाओं में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता का जिक्र कई जगह हुआ है। आज रोजमर्रा के जीवन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित मशीनों का प्रचलन धीरे-धीरे ही सही लेकिन बढ रहा है।

एप्पल जैसी कंपनी मोबाइल में सिरी की सहायता से काम करती है जो कि व्यक्तिगत सहायक के रूप में काम करता है। वही गूगल द्वारा विकसित की गई ड्राइवरलेस कार और घरेलू काम को करने वाले रिमोट इसका प्रमुख उदाहरण है।

भारत जैसे विकासशील देशों में शिक्षा तक देश के प्रत्येक नागरिक की पहुंच सुनिश्चित करना एक चुनौतीपूर्ण काम है। ऐसे में गुणवत्ता और मुफ्त शिक्षा की जरूरत बढ़ गई है। इसके लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर का प्रयोग आधुनिक शिक्षा में किया जाने लगा है।

देश में उपग्रह के माध्यम से शिक्षा उपलब्ध कराया जा रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से अच्छे अध्यापक के साथ- साथ इंटरनेट आधारित वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से लाखों छात्र जुड़ पाते हैं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकने में सक्षम है।

इसके लिए देश में शिक्षित मानव संसाधनों की कमी को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। नकारात्मक पक्ष के दृष्टिकोण से यदि कृत्रिम बुद्धिमत्ता की महत्व की चर्चा की जाए तो भारत में आज आम आदमी अपने इलाज के लिए अपनी आय का 70% खर्च करता है। जो काफी महंगा है।

ऐसे में कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा विकसित किए गए ऊपर और संसाधनों द्वारा सस्ते इलाज संभव है। साथ ही त्वरित इलाज
भी इससे संभव है। कई लाइलाज बीमारियां जैसे कैंसर आदि के अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

3डी तकनीक मानव के अंगों को विकसित करने का काम करती है। नैनो तकनीक पर आधारित छोटे छोटे रोबोट शरीर के अंदर जाकर विभिन्न रोगों का निदान करने में सक्षम है।

ऐसे में यह कहना उचित ही होगा कि आने वाले समय में प्रत्येक घर में रोबोट आधारित डॉक्टर देखने के लिए मिल जाएंगे। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अपने लाभ हैं। लेकिन इसके कुछ मानसिक अभिशाप भी हैं। जो इस प्रकार से हैं-

कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक अभिशाप के रूप में ( Artificial intelligence as a curse in Hindi ) :-

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। लेकिन यह वरदान के साथ-साथ अभिशाप के रूप में भी देखी जा रही है। विनिर्माण और अन्य क्षेत्रों में मशीनीकरण और रोबोटिक्स के कारण आने वाले समय में 50% मानव रोजगार का स्थान रोबोट ले लेंगे।

इस संबंध में महात्मा गांधी ने बहुत पहले आशंका व्यक्त करते हुए कहा था कि मशीनीकरण मजदूरों के रोजगार को छीन सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते प्रयोग से मानव बेरोजगार हो सकते हैं।

हाल में ही विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा एक संयुक्त रिपोर्ट जारी की गई है। जिसके अनुसार कौशल कार्यक्रमों में देश को आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है नहीं तो आने वाले समय में लाखों लोग गरीब बेरोजगार और भुखमरी का शिकार बन सकते हैं।

निष्कर्ष ( Conclusion ) :-

निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सकारात्मक प्रयोग पर ही भविष्य टिका है। इससे पीछे नहीं हटा जा सकता है। लेकिन इसके नकारात्मक कार्यों की अवहेलना भी नहीं की जा सकती है।

इस विषय पर चर्चा के लिए संपूर्ण विश्व को जागरूक होना होगा। मानव सभ्यता के भविष्य के संदर्भ में डरने के बजाय लोगों को मानव कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल मानव निर्माण के लिए करना चाहिए। इसका सकारात्मक उपाय ही करना चाहिए।

लेखिका : अर्चना  यादव

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