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“नामवर सिंह की पुण्यतिथि पर अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन”

 

हिन्दी समकालीन आलोचना के शलाका पुरुष नामवर सिंह की पुण्य तिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि स्वरूप अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगम के तत्वावधान में श्री देवेन्द्र नाथ शुक्ल की अध्यक्षता एवं संस्थापक महासचिव डॉ. मुन्ना लाल प्रसाद के संचालन में गूगल मीट के माध्यम सेे एक अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. डॉ. ब्रज नंदन किशोर, पूर्व विभागाध्यक्ष, डी.ए.वी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा, भारत एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी, दक्षिण एशियाई भाषा व संस्कृति विभाग, क्वांगतोंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय चीन, श्री शांति प्रकाश उपाध्याय, सिंगापुर, श्री विनोद कुमार दुबे, सिंगापुर, लालाराम हरद्वारसिंह लैलावती, सूरीनाम, डॉ. सुरीति रघुनंदन, मॉरीशस एवं श्री सुरेश पांडेय, स्वीडन उपस्थित थे।

कार्यक्रम में सबसे पहले जम्मू से उपस्थित प्रो. डॉ. प्रवीण मणि त्रिपाठी “शांतेय” द्वारा उद्घाटन गीत प्रस्तुत किया गया।उसके बाद मुख्य अतिथि डॉ. किशोर ने नामवर सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक ऐसा व्यक्तित्व है जिसने हिन्दी आलोचना को एक नयी दिशा प्रदान की है। हिन्दी साहित्य के लिए इनके अवदानों को भुलाया नहीं जा सकता है।

इस अवसर पर देश- विदेश के कवि एवं कवयित्रियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर नामवर सिंह को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसमें प्रमुख रूप से

डॉ. ओमप्रकाश पांडेय, सिलीगुड़ी,

अर्चना आर्याणी, सीवान,

डॉ. कमलेश शुक्ला “कीर्ति”, कानपुर,

डॉ. अलका अरोड़ा, देहरादून,

विद्युत प्रभा चतुर्वेदी ‘मंजु’, देहरादून,

शारदा प्रसाद दुबे, ‘शरतचंद्र’ थाणे, मुंबई,

भावना सिंह, (भावनार्जुन) बुलंदशहर,

कश्मीरा सिंह, छपरा,

डॉ. अनिल कुमार पांडेय, कैमूर, बिहार,

डॉ. लोकेश शर्मा, भरतपुर, राजस्थान,

पुतुल मिश्रा, गुंजन गुप्ता, मोहन महतो, सिलीगुड़ी,

महेश ठाकुर “चकोर”, मुजफ्फरपुर,

सीमा जैन, खड़गपुर,

स्नेह लता शर्मा, लखनऊ,

चंद्रप्रह्लादका, कोलकाता,

विभा द्विवेदी, सीवान,

दिलीप शर्मा, देवास, मध्यप्रदेश,

पुष्पलता मीना, राजस्थान,

डॉ. मंजु जौहरी मधुर, नजीबाबाद, बिजनौर,

विनय शर्मा “दीप’ आदि के नाम शामिल हैं। यह पूरा कार्यक्रम “गूगल मीट” के साथ-साथ “यूट्यूब” एवं “फेसबुक” पर लाइव प्रसारित हो रहा था।

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