इस महफिल में न यादों की खुशबू आती है | Kavita
इस महफिल में न यादों की खुशबू आती है
( Is mehfil mein na yaadon ki khushboo aati hai )
ना पुराने इश्क पर चर्चा होती है।
ना अब किसी की टांग खींची जाती है।
ए मेरे दोस्त लगता है
सब जिम्मो तले छोटी सी झपकी लेने चली जाती है।
आओ ना यारों फिर से स्कूल के बच्चे बन जाते हैं।
अपने बच्चों की नहीं अपनी बचपन की यादों में फिर कहीं खो जाती हैं।
ओए किरण कल टिफिन में अचार ज्यादा लाना।
सुन सुन नवी यार थोड़े से पचनाले खिलाना।
ए रेखा सुन तु कुछ
नहीं लाती कल अमरूद लेकर आना।
यार विनी रहने दो एक रुपए की ही इमली लाना
उसमें थोड़ा चूरन भी मिलाना।
सुमन तू कहां भाग रही है काले चने उबाल के लाना।
अरे प्रतिभा पंद्रह अगस्त पर अच्छा सा डिबेट लिखकर लाना।
मेरे लिए भी न्यूज़ काट छांट कर लाना।
24 क्वार्टर से आती हुई उषा कुछ चारपाई व खजूर हरा चिंगम लाना।
देवकी जी आप बस कुछ खट्टी मीठी चुटकुलों की बौछार कर जाना।
ये महफिल है दोस्तों की इसमें खूब रंग जमाना
लेखिका :-गीता पति ( प्रिया) उत्तराखंड