अग्नि शेखर के काव्य संग्रह "जलता हुआ पुल" पर परिचर्चा

अग्नि शेखर के काव्य संग्रह “जलता हुआ पुल” पर परिचर्चा

छिंदवाड़ा – साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद की जिला इकाई पाठक मंच बुक क्लब छिंदवाड़ा द्वारा कवि अग्नि शेखर के “जलता हुआ पुल” ज्योतिपर्व प्रकाशन से प्रकाशित काव्य संग्रह पर परिचर्चा कराई गई परिचर्चा के दौरान काव्य कृति पर वरिष्ठ पाठकों सहित युवा पाठक ने अपने विचार व्यक्त किए !

विशाल शुक्ल छिदवाड़ा – “जलता हुआ पुल काव्य संग्रह गूढ़ है भाषा में सरलता और सहजता की कमी काफी खलती है पृष्ठ 71 पर गाली शब्द काव्य संग्रह की शोभा को कालिख सा लगाता है लेखक को उसका हल ढूंढना था ताकि काव्य संग्रह की उस कविता को पड़ने का साहस किया जा सकता”।

हरिओम माहोरे छिंदवाड़ा – काव्य संग्रह में 53 कविताएं भी काव्य के भाव को प्रकट करने में असफल रही है यद्पि कविता में ऐतिहासिक तथ्यों को समेटने की कोशिश की है!

स्वप्निल गौतम छिंदवाड़ा – “कवि ने गद्य को पद्य में रचा है यह काव्य संग्रह की एक विशेषता है जलता हुआ पुल” के स्थान पर काव्य संग्रह का नाम जलता हुआ देश होता तो शायद ज्यादा सटीक होता!


डॉ .कौशल किशोर श्रीवास्तव छिंदवाड़ा – “काव्य संग्रह में रसास्वादन के इच्छुक पाठको को असफलता हाथ लगती है फिर भी काव्य के जरिए इतिहास को बताने का प्रयास लेखक ने बखूबी किया है!

शशांक दुबे छिंदवाड़ा – विभिन्न घटनाक्रमों का संजीदा इतिहास व्यक्त करता काव्य संग्रह में कुछ कविताएं जैसे एक अकबर का शोक संवेदना पृष्ठ, बर्फ की याद, मां का दूध काफी पसंद आई है !
पाठक मंच केंद्र से जुड़े पाठक राजेंद्र यादव, रमाकांत पांडे, शशांक पारसे, नेमीचंद व्योम, अशोक नारंग ने भी संग्रह को सराहा!

विशाल शुक्ल
संयोजक
पाठक मंच छिंदवाड़ा

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