जीवन समय

जीवन समय

जीवन समय

जीवन का पहिया चलता रहता है,
समय का पहिया घूमता रहता है।
यूं तो इंसान के पास भी पहिए होते हैं,
कभी गाड़ियों में,
कभी विचारों में,
कभी भाग्य में भी।

तुमसे भी तेज़ दौड़ते समय के पैर नहीं होते,
पैरों का लेकिन समय होता है।

तुमसे छीनते समय, समय के हाथ भी नहीं होते,
हाथों का लेकिन…

तो, क्यों ना फिर समय बिताएं,
हाथों से कुछ बनाने, कुछ संजोने के लिए।
और पैरों से, वर्तमान में जमे रहने को और भविष्य की ओर चलने के लिए।

यह भी सच है कि,
समय कविता का नहीं होता,
कविता लेकिन समय की होती है।
आज लिखा गया हर शब्द,
कल बीता हुआ होगा।
समय बीत चुका होगा।
होगा कविता में ज़िंदा…
साथ में, तुम भी शायद…

और,
यह एक समय की नहीं,
हर समय की बात है।

चंद्रेश कुमार छ्तलानी

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *