Jo Jag ka Kartar Prabhu

जो जग का करतार प्रभु

( Jo jag ka kartar prabhu )

 

आस्था विश्वास श्रद्धा से, मनमंदिर में दीप जलाओ।
उजियारा हो हृदय में, हरि भजन में मन लगाओ।

नीली छतरी वाला ईश्वर, वो जगदीश्वर अंतर्यामी है।
सारी दुनिया का रखवाला, सकल चराचर स्वामी है।

नानी बाई को भात भरने, सांवरियो खुद आयो हो।
सखा सुदामा द्वारकापुरी, कृष्णा नंगे पांव धायो हो।

नरसी की भक्ति रंग लाई, मीराबाई कृष्ण समाई।
कर्माबाई लाई खिचडो, रुचि भोग कर रहे गुसाई।

धरती अंबर पर्वत नदियां, भावन नजारे सजते है।
सारी सृष्टि उसके हाथों में, भाग्य सितारे चलते हैं।

जो जग का करतार प्रभु, जो जग पालनहारा है।
डूबी नैया पार लगा दे, पग पग पे देता सहारा है।

जिसने भी ध्यान लगाया, सच्चे मन से पुकारा है।
भक्त वत्सल करुणासागर, दीनबंधु प्रभु प्यारा है।

सांस सांस नस नस समाया, उसकी लीला न्यारी है।
वो ही डोर हिलाता सबकी, चलती ये दुनिया सारी है।

 

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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