चलते चलते हुए रुक जाऊं
चलते चलते हुए रुक जाऊं

चलते चलते हुए रुक जाऊं

 (Chalte Chalte Hue Ruk Jaoon )

 

चलते चलते मैं रुक जाऊं

तो तुम मत घबराना मीत

 

याद हमारी आएगी तो

आंसू नहीं बहाना मीत।

 

हम दोनों का प्यार पुराना

पावन निर्मल निश्चल है

 

हृदय एक है प्राण एक है

दोनों में ही मन का बल है

 

जब तक जीवन सांस चले

यह संबंध निभाना मीत।

 

यह विश्वास तुम्हारा हम पर

मंजिल कभी नहीं भटकेगी

 

इक दूजे के मन दर्पण में

सूरत कभी नहीं चटकेगी

 

प्रेम पंथ के हम राही हैं

मंजिल अपनी पाना मीत।

 

दूर भले तन रहते लेकिन

मन के पास सदा रहते हैं

 

एक दूसरे के दिल बैठे

मन एहसास सदा रहते हैं

 

यूं ही पास सदा तुम रहना

मुझको छोड़ न जाना मीत

 

याद हमारी आएगी तो

आंसू नहीं बहाना मीत

 

☘️

कवयित्री: यमन शर्मा
मुगलसराय
( उत्तर प्रदेश )

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