नमन

( Naman )

 

भारत की प्राचीनता ही उसकी महानता है
बहुआयामी शोध मे ही उसकी परिपक्वता है
चंद्रयान का चांद पर उतरना नव आरंभ है
गतिशीलता इसमें पुरातन से ही प्रारंभ है..

चौदह लोकों तक भ्रमण वर्णित है शास्त्रों मे
नभ से पताल तक सब अंकित है शब्दों मे
यह तो नव प्रभात का नव सृजन है अभी
देखेगी दुनिया आश्चर्य चकित हो अचंभी..

शर्त है बस एक यही,साथ चलें सब मिलकर
जात पात,ऊंच नीच ,भेद भाव सब भूलकर
शिक्षा भी साथ हो,कुछ सनातन की तर्ज पर
औषधि है भारत मे पूर्ण विश्व की मर्ज पर..

होगा तैयार जल्द आदित्य और गगन यान
धीरे धीरे ही स्पष्ट होगा कैसे है भारत महान
सौ सौ बार नमन है,हर वैज्ञानिक जन को
संस्कृति,सभ्यता,अखंडता के नव सृजन को..

 

मोहन तिवारी

 ( मुंबई )

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