
जो वीरगति को पाए
( Jo veergati ko paye )
सरहद पे अटल खड़े जो, सीमा पर शीश चढ़ाये।
जरा याद उन्हें भी कर लो, जो वीरगति को पाए।
जरा याद उन्हें भी कर लो
बढ़ बढ़कर जंग लड़े जो, वो वंदे मातरम गाए।
वो आजादी के दीवाने, जो क्रांतिवीर कहलाए।
तिलक करें माटी का, जो देश हित मिट जाए।
अमर सपूत भारत के, नाम रोशन कर जाए।
जरा याद उन्हें भी कर लो
धन्य हुई यह धरती, माटी के लाल कहाए।
कूद पड़े जो समर में, बैरी को धूल चटाए।
शूरवीर महायोद्धा, रण कौशल वो दिखलाए।
जो देश प्रेम मतवाले, जो गीत वतन के गाए।
जरा याद उन्हें भी कर लो
तूफानों से भिड़ जाते, बारूद से वो बतियाते।
दुश्मन का सीना चीर, पथ में जो बढ़ते जाते।
भारत मांँ की झांकी, नित बढ़ शीश झुकाए।
शौर्य पराक्रम कीर्ति, परचम जग में लहराए।
जरा याद उन्हें भी कर लो
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )