झांसा
दुकान पर सामान खरीदने आए 9 वर्षीय बच्चे ने किराना स्टोर पर पान मसाले की लड़ी लटकी हुई देखकर दुकानदार चंदू से पूछा:-
“अंकल जी, यह क्या है? क्या कोई खाने की चीज है?”
“बेटा यह सुपारी है। इसको मीठी सुपारी भी कहते हैं। खाने में बहुत टेस्टी होती है। इसमें शौंप, मिश्री, छुआरा, गोला जैसी चीजें मिक्स होकर आती हैं। यह मुंह में ताजगी और ठंडक भरती है।” दुकानदार बोला।
बच्चा पढ़ा लिखा था। वह दुकान पर कुछ सामान लेने के लिए आया था। उसने चंदू से कहा-
“अंकल, अगर यह सुपारी है तो इस पर पान मसाला क्यों लिखा हुआ है?”
“बेटा तुम्हें क्या लगता है कि मैं तुमसे झूठ बोलूंगा? मैं सही कह रहा हूँ। इसमें सुपारी है। इसकी लड़ी(पैकेट) आज सुबह ही आयी हैं। मैं सुबह से तीन-चार पैकेट इसके खा भी चुका हूँ।” दुकानदार ने उसको बताया।
“क्या सच में यह इतनी अच्छी सुपारी है?” बच्चे ने सवाल किया।
“हाँ, चल मेरी तरफ से तेरे लिए इसका एक पैकेट फ्री। मैं इसके तुमसे कोई पैसे नहीं लूंगा। लेकिन एक शर्त है- इसको तेरे मुंह में मैं ही डालूंगा। तुम्हें इसे बाहर थूकना नहीं है। सब सुपारी तुम्हें खानी पड़ेगी। बेटा, अगर गलती से भी थूक दिया तो तुम्हें इसके रुपए देने होंगे? अगर तुमने यह सुपारी खा ली तो अगले 5 दिन तक हर रोज इस सुपारी का एक-एक पैकेट मैं तुम्हें फ्री में दूंगा। बेटा, यह ऑफर सिर्फ तेरे लिए हैं। किसी को इस बारे में बताना नहीं। यह ऑफर भी तुम्हें इसलिए दे रहा हूँ क्योंकि तुम्हारे घर का सारा सामान मेरी दुकान से ही जाता है।’
मैं भी चंदू की दुकान पर कुछ सामान लेने आया था। उसको बच्चे से बात करता देख मैं रुक गया था। मैने देखा कि किस तरह एक 9 वर्ष के छोटे बच्चे को चंदू अपने जाल में फंसाने की कोशिश कर रहा है। मैंनें उन दोनों के बीच हो रही सारी बातों को सुन लिया था। जब मैंने देखा कि चंदू बच्चे पर पान मसाला खाने के लिए हर हथकंडा अपना रहा है, उसको खाने हेतु उकसा रहा है तो मैंने वहाँ हस्तक्षेप करना उचित समझा। मैंने दुकानदार चंदू से कहा-
“भैया जरा सुपारी का पैकेट दिखाना। मैं भी तो देखूं उसमें ऐसी क्या खास बात है जो तुम बच्चे को इसे खाने के लिए इतना जोर दे रहे हो?”
चंदू ने मुझसे बिना सवाल जवाब किये पान मसाले की लड़ी से एक पैकेट तोड़ कर मुझे दे दिया। मैंने उस पैकेट के रैपर को ध्यान से देखा और उस पर लिखी हुई सभी सूचनाओं, दिशा निर्देशों को ध्यान से पढ़कर चंदू से कहा-
“तुम इस पान मसाले को बार-बार सुपारी कहकर बच्चों को क्यों बरगलाना चाहते हो? क्यों अपने झांसे में लेना चाहते हो? जबकि इस पर साफ-साफ लिखा हुआ है कि यह पान मसाला है। इस पर स्पष्ट तौर पर यह भी लिखा हुआ है कि पान मसाला चबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, इससे कैंसर हो सकता है।
यह सुपारी नहीं है बल्कि खतरनाक पान मसाला है। तुम्हें शर्म आनी चाहिए ऐसा घिनौना काम करते हुए। इस छोटे से मासूम बच्चे को तुम इसकी लत लगाना चाहते हो ताकि यह पान मसाला, गुटखा तुमसे खरीद-खरीदकर खाता रहे। तुमने दुकानदारी चलाने का बहुत बढ़िया तरीका ढूंढा है। मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। तुम्हारा ऐसा भी रूप होगा, इसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी।”
दुकानदार चंदू से जवाब देते नहीं बना। वह बात को संभालते हुए मुझसे बोला:-
“भैया मैं तो बच्चे से मजाक कर रहा था। देख रहा था कि इस बारे में बच्चा कुछ जानता भी है या नहीं?”
“मजाक करने के लिए तुम्हें मिला भी तो एक बच्चा। यह तो सोचो कहाँ तुम 40 वर्ष के और कहाँ यह बच्चा 9 वर्ष का। तुम तो मजाक कर रहे थे लेकिन सोचो- अगर यह बच्चा तुम्हारे मजाक को सच मानकर इसका सेवन कर ले तो क्या होगा? कभी सोचा है इस बारे में? अब इस बच्चे की जगह अपने बच्चों को रख कर देखो।
अगर यह इतना लाभदायक है तो… क्या तुम अपने बच्चों को रोज पान मसाला खिला सकते हो? नहीं… तुम ऐसा थोड़ी करोगे? अगर कोई तुम्हारे बच्चे से इस तरह की बात भी करेगा तो तुम उसकी जान ले लोगे क्योंकि तुम्हें तो अपने बच्चे संस्कारी चाहिए, हष्टपुष्ट चाहिए, बुरी आदतों से बचे हुए चाहिए। लेकिन दूसरों के बच्चे तुम्हारी बला से बिगड़े या मरें.. तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तुम्हारी चीजें बिकनी चाहिए बस।” मैंने दुकानदार चंदू को लताड़ा।
इतने में आसपास के लोग इकट्ठा हो गए। उन्होंने मुझसे दुकानदार चंदू पर गुस्सा करने का कारण पूछा। मैंने उन्हें सब सच-सच बता दिया। उन लोगों ने भी दुकानदार चंदू को काफी भला बुरा कहा। बाद में मैंने उस बच्चे से कहा-
“बेटा कभी भी, किसी की भी बातों में मत आना। हमेशा अच्छी आदतें अपनाना और बीड़ी, सिगरेट, गुटका, तंबाकू, शराब जैसी हानिकारक चीजों से दूर रहना। यह सब हानिकारक चीजें शरीर का नाश कर देती हैं। अभी तुम्हारे पढ़ने-लिखने की उम्र है। खूब पढ़ाई-लिखाई करो और अपने मां-बाप का नाम रोशन करो।
कोई ऐसा वैसा काम न करना, न ही ऐसी वैसी चीजों का सेवन करना जिससे तुम्हारे मम्मी पापा को कष्ट हो और हाँ….. आज के बाद इस चंदू की दुकान से कोई सामान ना लेना। यह आदमी अच्छा नहीं है। चार दुकान छोड़कर सुनील की दुकान है। वहीं से सामान लेना। वह एक अच्छा आदमी है।”
“ठीक है अंकल जी। मैं आपकी बातों का ध्यान रखूंगा और इन गंदी चीजों से दूरी बनाकर रखूंगा और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दूंगा।”
ऐसा कहकर वह लड़का अपने घर चला गया। मैं वहीं खड़ा था। उसको घर जाते देखकर कहीं ना कहीं मेरे मन को भी संतुष्टि मिली क्योंकि मैंनें गलत बात का विरोध किया… एक बच्चे को बिगड़ने से और दुकानदार के झांसे में आने से बचा लिया था।
निष्कर्ष:- बच्चें बुरी आदतें जल्दी सीखते हैं। अच्छी आदतें अपनाने में उन्हें समय लगता है। आजकल की दुनिया ऐसी हैं कि लोग शुरुआत में तुम्हें फ्री में गन्दी चीजों की लत डालेंगे और जब आप उन चीजों के सेवन के आदी हो जाओगे तो तुम्हारे रुपयों से मौज उड़ायेंगे। तुम्हें बर्बाद करके मानेंगे। तुम शारीरिक और आर्थिक दोनों तरह से खुद को बर्बाद कर लोगे। इसलिए किसी के झांसे में आने से पहले इसके भविष्य में होने वाले गम्भीर परिणामों पर पुनः विचार करें।

लेखक:- डॉ० भूपेंद्र सिंह, अमरोहा
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