एक गाँव में एक फ़ैक्टरी होती है,जिसमें 100 कर्मचारी काम करते हैं। सब खुश थें,पैसे सभी को थोड़े कम मिलते थे‌। फ़ैक्टरी दूर भी थी तब भी वो खुश थे।

घर के पास भी फ़ैक्टरी थी वहाँ के मैनेजर बुलाते भी थे कि आपको ज्यादा सैलरी मिलेंगी यहाँ लेकिन वहाँ जाकर काम करने को कोई तैयार नहीं था,मालूम हैं क्यूँ?
क्योंकि मुखिया अपने कर्मचारियों से जुड़े हुए थे।

सब इसलिए खुश थे कि हमारे मालिक इतने बड़े फ़ैक्टरी के मालिक होते हुए भी हमारे सम्पर्क में हैं,इसी खुशी में वो साथ नहीं छोड़ रहें थे अपने मालिक का।

लेकिन अचानक मालिक का रवैया दिन प्रतिदिन बदल रहा था। धीरे धीरे सब का मनोबल टूटने लगा औऱ इसी का फ़ायदा उठाया दूसरे फैक्टरियों ने।

 

वंदना सोनकर
समाज सेविका प्रयागराज
( उत्तर प्रदेश )

यह भी पढ़ें :-

लघुकथा “गेटआऊट ” | Get Out

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here