रंग | Kahani Rang
कमर के नीचे मिनी स्कर्ट ,छह इंच ऊँची एड़ी को सेंडिल , कीमती जेवर ,चार इंच पेट दिखाती लाल रंग की टॉप और होठो में सिगार दबाए मोना अपनी शेवरले गाड़ी में धुँए कर छल्ले छोड़ती फर्राटे भरती सडक़ पर दौड़ी जा रही थी कि अचानक उसे गङ्गा बैराज का पुल नजर आया तो देखते ही आपे से बाहर हो गयी ।
उसने कार को रोका और बाहर आ कर दोनों हाथों को आपस में फँसा एक लंबी सी अंगड़ाई ली और चारो ओर नजर घुमा घुमा देखने लगी । फिर गाड़ी में गई ।
ठीक दस मिनट बाद जब वह बाहर निकली तो नीले रंग के स्विमिंग सूट में थी । उसके एक कंधे पर तौलिया लटक रहा था तो दूसरे पर मेकप किट । वह इठलाती हुई नीचे उतरी एयर पुल में लगी कीलों में अपना तौलिया और मेकप किट टांगा और रिजर्व कुंड में कूद गई फर्राटे मारती हुई मछली की तरह तैरने लगी ।
कभी किसी कछुए की उठा कर अपने पेट पर बैठा कर तैरती तो कभी मगरमच्छ की तरह लोट-पोट होने लगती । मोना पानी में सड़क से नीचे अटखेलियां कर थी तो सड़क के ऊपर मनचलों की भीड़ इकट्ठी होती जा रही थी ।
कोई उसकी शक्ल का ,तो कोई उसके शरीर के कटावों का तो कोई उसके तैरने की कला के दीवाने हो रहे थे । दूसरे शब्दों में यों कह लीजिए कि सबकी लार टपकी पड़ी थी ।
उनमें से कुछ अश्लील शब्द कह कर हँसी उड़ा रहे थे तो कुछ उससे सम्पर्क बढ़ाने की युक्ति सोच रहे थे । मोना कभी कभी पुल की रेलिंग तक जा उन पर नजर डाल लेती थी और फिर दुगुने वेग से अपने क्रियाकलापों में पहले से अधिक शोख हो कर व्यस्त हो जाती ।
उनमें से न जाने कब तीन मुस्टंडों ने अपने कपड़े उतार फेंके और पानी मे कूद पड़े । उन्हें पानी मे कूदते देख वह तेजी से पुल के नीचे गयी और अपना तौलिया व मेकप किट ली और कुओं ने नीचे से होती हुई किनारे पर जा तौलिए से अपना बदन लपेट गाड़ी को ओर दौड़ गयी और कार में बैठ लॉक कर लिया और कपडे बदल कार के बाहर आ कर खड़ी हो गयी ।
सामने से उसे वे तीन तिलंगे आते दिखाई दिए । अब वह बगलों में हाथ डाले उनको बड़े चैन से इंतजार कर रही थी। मोना की आँखे उनके पैरों पर टिकी थीं । जब उनके कदम दो फिट दूर रह गयी तब वह आगे बढ़ी और तपाक से हाथ आगे बढ़ाती हुई बोली –
” हाय ! आई एम मोना ”
” मैं श्रीकांत ,ये शकील और यह तुलाराम । हम तीनों एल एल बी में पढ़ते है ।’
श्रीकांत ने हाथ छुड़ाते हुए कहा ।।
” तो आपको मेरा तैरना अच्छा लगा ‘” मोना ने उसकी आँखों मे आँखे डालते हुए कहा ।
” जी हाँ ,आप बहुत एन्जॉय करती है तैरने को । आपसे बातें करने को जी चाहता है पर यहाँ कोई होटल भी नही है आस-पास ”
” होटल नही तो गेस्टहाउस तो है। कॉफी मेरे पास है । वहीं बैठ कर कॉफी पियेंगे और बातें भी कर लेंगे ”
और तुलाराम का हाथ पकड़ कर खींचती हुई सी कॉफी का थर्मस लिए गेस्टहाउस की ओर चल दी ।
दूसरे लड़के भी यंत्रवत उसके पीछे पीछे चल दिये । गेट खोल जैसे ही बरामदे में पहुँचे तो श्रीकांत ने आगे बढ़ मोना को बगलवाले कमरे में खींच किवाड़ बन्द कर चाटने चूमने लगा ।
मोना ने कॉफी का थर्मस एक तरफ रख उसका पूरा साथ दिया । जब वह किवाड़ खोल दरवाजे पर जैसे ही बाहर जाने लगा कि शकील का जोरदार तमाचा उसके गाल पर छप गया ।
दरवाजे की आवाज से वह समझ गयी थी लेकिन चुपचाप जमीन पर आँख बंद करके लेटी रही । शकील उसके पास आ कर बैठ गया और उसका सिर सहलाने लगा।
मोना ने आँखे खोली तो उसकी आँखों मे दरिंदगी देखी । वह मुस्करा कर बोली –
” समय क्यो खराब कर रहे हो ? लग जाओ लाइन पर ।
सुन कर शकील लिपट पड़ा । मोना ने पूरा साथ दिया । मोना जहरीली हँसी हँस रही थी और शकील हाँफ रहा था । जब वह कमीज के बटन बन्द कर रहा था तो वह बोली –
” जाओ अब तुलाराम को भी भेज दो । शादी तो अभी हुई नही । कभी कभार ही चांस मिलता है । बेचारा तरस रहा होगा । ”
शकील को जैसे यकीन नही आ रहा था । उसकी आँखों मे भय समाया हुआ था । वह तेजी से बाहर निकला जहां तुलाराम उसका इंतजार कर रहा था । शकील काँप रहा था । उसने अंगूठे से अंदर जाने का इशारा करके चुपचाप बाहर निकल गया ।
” आइए , आप भी आजमाइये अपनी मर्दानगी ।”
उसकी आवाज सुन कर तुलाराम मुस्करा पड़ा और स्वयं को संतुष्ट करने में लग्न के साथ लग गया । मोना उसकी सहचरी बराबर बनी रही ।
अब तुलाराम हाँफ रहा था और मोना की आँखों मे घृणा , उपहास और क्रोध का समंदर लहरा रहा था । जब वह अपने कपड़े पहन कर बाहर जा रहा था तब मोना की मुट्ठियाँ और दाँत भिंच गये । वह तुलाराम पर थूक बैठी । तुला राम ने जैसे ही उसकी तरफ देखा तो वह एक दम बोली –
” आई एम सॉरी । ” कहते हुए अपना रुमाल निकाला और उसे थमा दिया । तुलाराम ने मुँह पौछा और रुमाल वही फेंक बाहर निकल गया और मोना स्वयं को सम्हालने में लग गयी ।
दस मिनट तीनो मित्र आपस मे बतियाते रहे और फिर कार की तरफ चल उसके पास खड़े हो कर मोना का इंतज़ार करने लगे । मोना पहले कहीं अधिक शोख हो कर इठलाती हुई अदा बखेरती चली आ रही । उसकी आँखों मे पहले से अधिक विश्वास था । वह अपनी कार की ओर बढ़ी और वे तीनों एक ओर हो लिए ।
उसने दरवाजा खोला और स्टेयरिंग को सीट पर बैठ दरवाजा बंद कर लिया । फिर गहरा साँस ले आँखे बंद किये वह दो मिनट तक बैठी रही और अपने पर्स से सिगरेट निकाल उसे सुलगा कर धुँए के छल्ले छोड़ते हर कार स्टार्ट करके उन तीनों से बड़ी गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाया और खिडकी का आधा शीशा चढ़ा बोली –
” बेस्ट ऑफ लक । आज से ठीक तीन महीने बाद अपने टैस्ट जरूर करा लेना । मैं एच आई वी पॉजिटिव हूँ । फिर इस पते पर मुझे फोन करके रिपोर्ट की सूचना देना ।”
कहते हुए मोना ने अपना कार्ड उन्हें थमा दिया । और फिर –
“जो तुमने मुझे जबरदस्ती दिया है वह मैं तुम्हें खुशी खुशी लौटाऊंगी । तुम तीनो को भागीदार बना चुकी हूँ । अब देखना है कितने और बन पाते है ।”
कहते हुए एक्सलरेटर दबाया और हवा हो गयी । एच आई वी पॉजिटिव के साथ मनाई गई रंगरेलियाँ साहस पछतावे कर दर्द से कराहने लगी । तीनो मित्रो का मुँह सफेद पड़ गया पर एच आई वी का रंग निरन्तर गहरा हो होता जा रहा था ।
सुशीला जोशी
विद्योत्तमा, मुजफ्फरनगर उप्र