कर मुहब्बत का यहाँ छाया ख़ुदा | Kar muhabbat ka yahan chaya khuda
कर मुहब्बत का यहाँ छाया ख़ुदा
( Kar muhabbat ka yahan chaya khuda )
मैं पढ़ूं कलमा करुं सज़दा ख़ुदा!
जीस्त भर हो ऐसा लम्हा ख़ुदा
नफ़रतों की धूप ढ़ल जाये यहाँ
कर मुहब्बत का यहाँ छाया ख़ुदा
जिंदगी में दोस्त कोई भेज दें
हूँ बड़ा ही जीस्त में तन्हा ख़ुदा
उम्रभर के ही लिए उससे मिला
आ रहा जो ख़्वाब में चेहरा ख़ुदा
ग़म भरे पल जी लिए हूँ ख़ूब मैं
जीस्त में हो अब सदा अच्छा ख़ुदा
दूर आज़म से रहेगे हर उदूं
हर घड़ी अपना साया रखना ख़ुदा