अंबिकापुर सोसाइटी में हुआ कवि सम्मेलन, कवियों ने बांधा समा

अंबिकापुर सोसाइटी में हुआ कवि सम्मेलन, कवियों ने बांधा समा

 

छिंदवाड़ा – चन्दनगाँव स्थित अंबिकापुर सोसाइटी में गणेशोत्सव के उपलक्ष में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमे जिले के जाने – माने कवि एवं कवियत्रीयाँ उपस्थित रहे. सोसाइटी द्वारा सभी कवियों का शॉल एवं श्रीफल देकर सम्मान किया गया.

कवि सम्मेलन का मंच संचालन जिले के वरिष्ठ तथा अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार दादा रत्नाकर रतन ने किया. कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ किया गया जिसकी प्रस्तुति श्रीमती किरण सोनी ने दी.

जहाँ युवा कवि शशांक दुबे ने राष्ट्रवाद का अलख जगाता हुआ गीत प्रस्तुत किया वही युवा कवि तथा पूर्व सैनिक सतीश विश्वकर्मा ने पिता के सम्मान ” बचपन की वो कहानियाँ नहीं भूला, मैं दोस्तों की महरबानियां नहीं भूला, यूँ तो करता हूँ बहुत प्यार अपनी माँ से मगर, मैं अपने बाप की कुर्बानियाँ नहीं भूला ” पढ़कर सबको भाव विभोर किया. पहली बार मंत्र पर पदार्पण कर रही नवीन कवियत्री सुषमा विश्वकर्मा ने पति-पत्नी के मध्य प्रेम को परिभाषित करते हुए पंक्तियां पढ़ी.

युवा साहित्यकार शशांक पारसे ने माँ बेटी की मार्मिक बातों को कविता का रूप दिया. वरिष्ठ कवि अवधेश तिवारी ने अपनी कविता में बताया कि माता पिता की सेवा करके चारों धामों की यात्रा हो जाती है.

एक तरफ वरिष्ठ साहित्यकार विशाल शुक्ल ने समाज की वर्तमान व्यवस्थाओं पर व्यंग्य करते हुए तंज कसा दूसरी तरफ वरिष्ठ साहित्यकार नेमीचंद व्योम ने संस्कृत में शृंगार रस की कविता पढ़ी. हास्य व्यंग के वरिष्ठ हस्ताक्षर केके मिश्रा कायर ने लोगों को हास्य कविता से खूब हंसाया.

डॉ कौशल किशोर श्रीवास्तव ने जीवन के और राजनीती के अनुभवों पर लिखी कवितायेँ सुनाई. मंच संचालन कर रहे रत्नाकर रत्न जी ने देशभक्ति से भरा गीत पढ़कर लोगों में जोश भरा !

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