सभी पाठकों को सैनिक/कवि-गणपत लाल उदय
अजमेर राजस्थान का सादर वंदन अभिनंदन जयहिंद
भारत वर्ष एक विशाल और बहुभाषी देश है यहां अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग पहनावा और अलग-अलग भाषाॅं बोली जाती है अपनें विचार एक दूसरें को बतानें व समझाने के लिए एक ऐसी भाषा की ज़रुरत महसूस हुई जिसको देश और विदेश में अधिक से अधिक लोग बोल सकें समझ सकें सदियों से विद्वानों और महापुरुषों ने इसके लिए हिंदी भाषा
को चुना जो आज सारे विश्व में बोली जाती है।
सबसे पहले मैं सर्वशक्तिमान, सर्वोच्चसत्ता वालें ईश्वर को नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूॅं जिन्होंने मुझे अपना आशीर्वाद देकर मेरा कार्य सफलता पूर्वक पूर्ण करनें में मदद की।
मैं अपनें माता-पिता गुरुजन चाचा-चाची भाई-भाभी और देश-विदेश के कवियों-कवित्रियों, लेखकों-लेखिकाओं रचनाकारों-साहित्यकारों हमारी धर्मपत्नी कौशल उदय बच्चें-अकुंश अविनाश व सभी छोटे-बड़ों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूॅं।
जिन्होंने मुझे बहुमूल्य मार्गदर्शन मूल्यवान सुझाव दिया और मेरी रचनाओं को पढ़कर मेरा हौंसला बढ़ाया चाहें सोशल मीडिया अखबार अथवा देश-विदेश के अनेंक वाट्स-अप ग्रुपों के बुद्धिजीवी हो।
हमारे अधिकारियों साहित्यिक गुरु और संस्कार न्यूज का उल्लेख किये बिना मेरी कलम नहीं रुकेंगी साहित्यिक गुरु आदरणीय- कवि कमल किशोर माहेश्वरी हमारे अधिकारी रिटायर-
डी आई जी पी- सुशील जे स्पीक कमांडेन्ट-
एंथोनी जोंसन कमांडेन्ट- धर्मेन्द्र कुमार झा एवं
सहायक कमांडेन्ट अजय कुमार मिश्रा, डाॅ. अरविंद कुमार उदय, डाॅ. प्रभात एवं मेरे मित्र मोनेश्वर एम बी, सुनील, सेजू, पाटिल, बिल्लूसिंह ने हर क़दम मेरा हौंसला/मनोबल बढ़ाया इस सहयोग के लिए मैं आप सभी को दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूॅं।
सेवा भक्ति के प्रतीक दिनांक 15 अप्रेल 2022 को इंकलाब पब्लिकेशन मुम्बई महाराष्ट्र से लाॅच हो गई
है जो अब सभी जगह अमेज़न और फ्लिपकार्ट के माध्यम से आप मंगवाकर पढ़ सकते है। यही पुस्तक ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है।
इस पुस्तक में देश भक्ति और मेरे व्यक्तिगत विचारों से बनी स्वरचित एवं मौलिक रचनाएं प्रकाशित है। साथ ही त्रुटिरहित करनें का पूरा प्रयास किया है फिर भी कही पर कोई त्रुटी रह जाती है तो इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूॅं।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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