Kavita ek hunkar

इक हुंकार | Kavita

इक हुंकार

( Ek hunkar )

 

हम संघी है….. जन संघी है,
भारत जय हो, विजय सोच के रंगी है।
हम संघी है..
भगवा है पहचान हमारी,
शिव शक्ति मे डूबे हम अड भंगी है।
हम संघी है..
खाकी रंग है माटी रंग,
मातृभूमि के सेवक हम कुछ जंगी है।
हम संघी है….
शेर हृदय मस्तक विशाल,
हम कर्म रथि मन से ना कभी भी तंगी है।
हम संघी है….
भारत जय हो, विजय सोच के रंगी है।
हम संघी है…..जन संघी है….

 

सेवा ही है मूल हमारा,
सत्य सनातन, हिन्दू मन सतसंगी है।
हम संघी है….
विश्व विजेता नही बने हम,
विश्व शान्ति के, सकल गुरू आकाँक्षी है।
हम संघी है…..
पग से पग को मिला चले हम,
स्वर को मन से बाँध ले, ऐसे बौद्धी है।
हम संघी है….
भारत जय हो, विजय सोच के रंगी है।
हम संघी है….जन संघी है…

 

बने रहे हम हिन्द के योगी,
उठा धर्म का झण्डा, साथ में झोली है।
हम संघी हैं….
स्वर में तान रहे भारत की,
जला कष्ट की होली, हम मातंगी है।
हम संघी है….
भारत का उत्थान अटल हो,
रक्त शिराओ के वाहक,हम मनरंगी है।
हम संघी है….
भारत जय हो, विजय सोच के रंगी है।
हम संघी है….जन संघी है…

 

??
उपरोक्त कविता सुनने के लिए ऊपर के लिंक को क्लिक करे

✍?

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

यह भी पढ़ें :- 

आशिकी मे मेरा नाम आने तो दो | Aashiqui shayari

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *