गाँव बिखर गया | Kavita Gaon Bikhar Gaya
गाँव बिखर गया
( Gaon Bikhar Gaya )
जिंदगी का अब कोई भरोसा नही।
कब आ जाये बुला हमें पता नही।
इसलिए हँसते खेलते जी रहा हूँ।
और जाने की प्रतिक्षा कर रहा हूँ।।
जो लोग लक्ष्य के लिए जीते है।
उनकी जिंदगी जिंदा दिल होती है।
और जो लोग हकीकत से भागते है।
जिंदगी उनकी नरक बनी रहती है।।
दुनियां में सबको जिंदा रहना है।
और कुछ भी उन्हें नही करना है।
पर सबके बीच में उन्हें बैठना है।
और सिर्फ जुमले बाजी करना है।।
जमाना बीत गया अब चौपालों का।
जहाँ हर प्रकार की बातें होती थी।
और लोग अनुभवों को बताते थे।
जिससे गाँव परिवार बंधे रहते थे।।
टूट गया आज गाँव पर आसमान।
जब बना बनाया संसार उजड़ गया।
क्योंकि बांधने वाले का जाना हो गया।
इसलिए गाँव हमारा अब बिखर गया।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन “बीना” मुंबई