लोग क्या कहेंगे | Kavita Log Kya Kahenge
लोग क्या कहेंगे
( Log Kya Kahenge )
हमें लोग क्या कहेंगे, अब लोगों को भी कहने दो।
मतलब की है सारी दुनिया, स्वार्थ में ही रहने दो।
तुमको अब बढ़ते जाना, कुछ काम ऐसा कर लो।
जीवन में कुछ है पाना, खुशियों से झोली भर लो।
साध लो अब निशाना, मंजिल पर तुमको जाना।
यह दुनिया एक अजूबा, यहां कोई नहीं ठिकाना।
उगते हुए सूरज को, ये दुनिया सलाम करती है।
बचके रहना जरा, ये सरेआम नीलाम करती है।
हजार मुंह हजार बातें, लोगों का काम है कहना।
अपनी मस्ती में रहना, खुशियों से झोली भरना।
लोग तो निवाला, कभी मुंह तक भी न जाने देंगे।
सुख की दो रोटी घर में, तुम्हें चैन से ना खाने देंगे।
लोगों का काम कहना, वो करेंगे बहुत सी बातें।
सुख दुख में काम आना, सुख में वो काम आते।
करते चलो वही तुम, खुद दिल देता जो गवाही।
लोग क्या कहेंगे, मत सोचो कभी पथ के राही।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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