राखी | Kavita Rakhi
राखी
( Rakhi )
“धागा” तो इसका कच्चा सा होता है.
मगर यह रिश्ता यह पक्का सा जोड़ता है।
होता तो है यह कमजोर बहुत ही…
सबसे ज्यादा मजबूती यही प्रदान करता है।
भाई तो हर बहन का ही मान होता है.
कभी दोस्त कभी पिता समान होता है.
कभी हँसाता है, तो कभी रुला भी देता है.
उसकी डाँट में भी प्यार बेशुमार होता है।
धर्म के हर एक पन्ने में यह बात दर्ज है.
बहन की रक्षा करना भाई का फर्ज है।
जो ग़ाफिल हो जाते हैं अपने इस फर्ज से.
उनको चुकाना पड़ता फिर वो सारे कर्ज है।
सभी रिश्ते से ज्यादा इसमें मान-मनोहर.
तभी तो हर एक इंसां इसके कद्रदान है।
फिर से प्यार-मोहब्बत के तोहफे मिलेंगे.
देखो आया फिर से राखी का त्यौहार है।
आश हम्द
पटना ( बिहार )
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