Vairagya kavita
Vairagya kavita

वैराग्य

( Vairagya )

 

सांसारिक जीवन से विरक्ति वैराग्य जब जागे
हृदय  के  सारे  अंधकार  दुर्गुण दोष सब भागे

 

बने वैरागी राजा भर्तृहरि राजपाट दिया त्याग
तप योग साधना कर हुआ हरि भजन अनुराग

 

गौतम बुद्ध वैराग्य जागा जन्म मरण गए जान
खूब  तपस्या  करके वन में महात्मा हुये महान

 

साधु-संत फकीर हो जाते तज सारी मोह माया
वैरागी  धर  वेश  जगत में दरवेश वो कहलाया

 

त्याग तपस्या कड़ी साधना सिद्ध योगी कर पाते
आराधक साधक सब हरि चरणों में ध्यान लगाते

 

राग द्वेश सब काम क्रोध का दमन किया करता है
वैरागी वैराग्य साधकर तप योग साधना करता है

 

परमानंद पाते चरणों में हरि का ध्यान लगाकर
आठो  पहर  आनंदमय होते हरि कृपा को पाकर

 

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

प्यार का तोहफा | Hindi poem pyar ka tohfa

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here