कायनात के संकेत और मेरा विश्वास
सुनो दिकु,
तुमसे कोई बात नहीं हुई, न कोई खबर आई है, न ही किसी ने कुछ बताया, पर फिर भी मेरे दिल के किसी कोने में एक अजीब-सा यकीन घर कर गया है कि तुम लौटने वाली हो। मुझे लगता है, जैसे कायनात मुझे संकेत दे रही है, जैसे हर तरफ से मुझे यह आवाज़ सुनाई दे रही है कि तुम अब दूर नहीं हो, तुम लौटकर आओगी, और इस बार हमेशा के लिए।
तुम्हें शायद पता न हो, पर इन दिनों हर छोटी चीज़ मुझे तुम्हारी याद दिला रही है। जब हवा का एक झोंका मेरे चेहरे को छूकर गुजरता है, तो ऐसा लगता है, जैसे वो तुम्हारा ही संदेश लेकर आया हो। कभी कोई गीत सुनता हूँ, और हर शब्द ऐसा लगता है, जैसे मेरे और तुम्हारे बीच की कहानी हो। जब रात में चाँद को देखता हूँ, तो उसकी रोशनी में तुम्हारा चेहरा दिखाई देता है। और मुझे यकीन हो जाता है कि तुम पास हो, बहुत पास।
यह सिर्फ मेरा दिल ही नहीं है जो ऐसा कहता है, दिकु। यह वो कायनात है जो हम दोनों के बीच कुछ ऐसा बुन रही है, जो नज़र तो नहीं आता, लेकिन महसूस किया जा सकता है। हर कदम पर कोई न कोई संकेत मिलता है कि तुम लौटकर आने वाली हो। मेरी धड़कनों के बीच अब तुम्हारे आने की आहट बसी है। एक अजीब-सा सुकून है, जो मुझे यह यकीन दिला रहा है कि तुम मेरी ओर ही आ रही हो, भले अभी तुम्हारा कोई संदेश न आया हो।
कभी किसी पंछी की उड़ान, कभी रात की ठंडी हवा, कभी बिन कहे हुई बातें—सब कुछ एक ही ओर इशारा कर रहे हैं। दिल की गहराई में छुपी यह आवाज़ कह रही है कि तुम अब बहुत जल्द मेरे पास आओगी, जैसे तुम दूर कभी गई ही नहीं थी। मैं जानता हूँ कि तुम भी मुझे उतना ही महसूस कर रही हो, जितना मैं तुम्हें कर रहा हूँ। शायद तुम्हारे दिल में भी यही सवाल है, यही ख्याल है कि हम कब मिलेंगे।
यह इंतजार अब खत्म होने वाला है, दिकु। जो दूरी अब तक हमें अलग कर रही थी, वो अब पिघल रही है। मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे किसी मोड़ पर, किसी नए रास्ते पर हम दोनों एक-दूसरे से टकराने वाले हैं। यह दूरी अब बस कुछ कदमों की है, और फिर हम वही होंगे, जहाँ हमें हमेशा होना चाहिए था—एक साथ।
तुम्हारा लौटना अब एक हकीकत बन रहा है, और मुझे इस बात का यकीन कायनात के हर संकेत से हो रहा है। तुम्हारा चेहरा, तुम्हारी हंसी, तुम्हारी आवाज़—सब कुछ अब फिर से मेरे सामने आने वाला है। मैं जानता हूँ, तुम भी इसे महसूस कर रही होगी।
और जब तुम लौटोगी, दिकु, यह इंतजार का हर पल सुकून में बदल जाएगा। फिर से वो हंसी, वो साथ बिताए हुए लम्हे, सब कुछ वापस आ जाएगा। मैं बस इसी विश्वास के साथ जी रहा हूँ कि तुम अब बहुत करीब हो। और जब तुम लौटोगी, हम फिर से वही होंगे, जैसे हमें होना चाहिए।
तुम्हारा इंतजार करते हुए,
तुम्हारा प्रेम
कवि : प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
सुरत, गुजरात
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