होली: रंग, रचना और रिश्तों का उत्सव
होली केवल रंगों का उत्सव नहीं, यह हमारे समाज की विविधता को एक सूत्र में पिरोने वाला पर्व है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जैसे रंग मिलकर एक सुंदर चित्र रचते हैं, वैसे ही प्रेम, भाईचारा और सद्भावना से सजा समाज ही सच्ची सुंदरता का प्रतीक होता है।
साहित्यकारों की लेखनी ने इस पर्व को कभी भक्ति में रंगा, कभी प्रेम की गहराइयों में डुबोया, तो कभी इसे सामाजिक सौहार्द्र का प्रतीक बनाया। आज, जब दुनिया कई तरह के मतभेदों और तनावों से जूझ रही है, हमें इस होली पर संकल्प लेना चाहिए कि हम बैर को भस्म कर, प्रेम के रंगों से समाज को सजीव बनाएँ।
आइए, इस होली पर न केवल गुलाल उड़ाएँ, बल्कि अपने मन की कटुता भी हवा में उड़ा दें। रिश्तों को नया रंग दें, संवेदनाओं को एक नई गहराई दें और जीवन को सतरंगी खुशियों से भर दें।
आप सभी को रंगों, प्रेम और उल्लास से भरी होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
अमरेश सिंह भदौरिया
प्रवक्ता हिंदी
त्रिवेणी काशी इ० कॉ० बिहार, उन्नाव
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