
वो फिर खत लिखने का जमाना आ जाए
( Wo phir khat likhne ka zamana aa jaye )
वो फिर खत लिखने का
जमाना आ जाए
तुम्हारी याद मुझको
फिर तरोताजा करा जाए,
दिल की धड़कन ना पूछो
कितनी तेज हो जाए
पैगाम में तेरी खुशबू का
एहसास वो करा जाए
शब्दों को पढ़ते पढ़ते ही
यादों में तेरी खो जाए
खयालों में तेरे खोते ही
चेहरा गुलाबी हो जाए
खत में लिखे लफ्जों से
मदहोशी सी छा जाए
बेकरार इस दिल को
थोड़ा सुकून मिल जाए
खत को पढू मैं जब यहां
तुमको करार आ जाए
हां फिर खत लिखने का
वो दौर आ जाए
डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )
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